________________
प्रद्योतिका टीका प्र.३ उ. ३ सू. ६४ उपपातसभायाः वर्णनम्
२५५
यावद् गोमानस्यो मणिपीठिका: 'जहा अभिसेयसभाए उपि सीहासणं अपरिवारं' यथा अभिषेकसभाया उपरि सिंहासनम् अपरिवारम् परिवाररहितं यथा तथा वक्तव्यमित्यर्थः । 'तत्थ णं' तत्र खलु सिंहासने 'विजयस्स देवस्स' विजयस्य देवस्य योग्यम्, 'सुबहु अलंकारिए भंडे' सुबहु - अलङ्कारिकम् - अलङ्करण योग्यवस्तूपेतं भाण्डमेकम् 'संनिक्खित्ते चिट्ठा' सन्निक्षिप्तं तिष्ठति, 'उत्तिमागारा अलंकारियसभाए उपि' उत्तमाकाराऽलङ्कारसभाया उपस्तिने भागे, 'मंगलझया, छत्ताइछत्ता' मङ्गलकानि-अष्टौ स्वस्तिकादीनि ध्वजाः कृष्णनीलादिकाश्छत्रातिच्छत्राणि, 'तीसेणं अलंकारियसहाए' तस्याः खलु अलंकारिकसभायाः 'उत्तरपुरस्थिमेणं' ऐशान्याम् 'एत्थणं एगा मह' अत्र खलु एका महती 'ववसायसभा द्वारत्रयका मुख मण्डपों का, और प्रेक्षा गृह मण्डप आदिकों का वर्णन ' अपरिवार भूत सिंहासन के वर्णन तक कर लेना चाहिये इस वर्णन के अन्तर्गत गोमानुषीयों का विश्राम स्थानों का और मणिपीठिकाओं का भी वर्णन आ जाता है यही बात 'जहा अभिसेयसभाए उप सीहासणं अपरिवारं ' इस सूत्रपाठ द्वारा सूत्रकार ने प्रकट की है 'तत्थ णं विजयस्स देवस्स सुबहु अलंकारिए भंडे संनिक्खित्ते चिट्ठइ' उस अलंकारिक सभा के अपरिवार भूत सिंहासन के ऊपर विजयदेव का एक बहुत अच्छा योग्य अलङ्कार भाण्ड रक्खा हुआ है । 'उत्तिमागारा अलंकारिय सभाए उप मंगलगा झया जाव छत्ताइछत्ता' इस अलंकार सभा के ऊपर भाग में आठ आठ मंगल द्रव्य है । कृष्ण नील आदि वर्णों की ध्वजाएं हैं । और सोलह प्रकार के रत्नों से जटित होने के कारण उत्तम आकार वाले छत्रातिछत्र है । 'तीसेणं अलंकारियसभाए उत्तरपुरत्थिमेणं' इस अलंकार सभा की इशान दिशा में 'एत्थ एगा
શિવાયના સિંહસનના વર્ણન સુધી કરી લેવું. એ વનની અંદર ગામાનુષિયાનુ અર્થાત્ વિશ્રામસ્થાનાનુ અને મણિપીઠિકાઓનુ વન પણ આવી लय 'छे. मेवात 'जहा अभिसेयसभाए उप्पिं सीहासणं अपरिवारं ' या सूत्र या द्वारा सूत्रारे अगर रेस छे. 'तत्थ णं विजयस्स देवस्स सुबहु अलंकारिए मंडे संनिक्खित्ते चिट्ठइ' थे अल अरिष्ठ सलाना अपरिवार ३५ सिद्धासनानी ઉપર વિજયદેવનું એક ઘણુ જ સુંદર અને ચેાગ્ય અલકાર ભાંડ રાખવામાં આવેલ छे. 'उत्तिमागारा अलंकारिय सभाए उप्पिं मंगलगा झया जाव छत्ताइछत्ता' ये असर સભાની ઉપર આઠ આઠ મંગલ દ્રવ્ય છે. કૃષ્ણ, નીલ વિગેરે રંગની ધજાઓ છે, અને સેળ પ્રકારના રત્નાથી જડેલ ઉત્તમ આકારવાળા છત્રાતિછત્રેા છે. 'तीसेणं अलंकारियसभाए उत्तरपुरत्थिमेणं' मे मा रिङ सलानी ईशान दिशाभां