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पर संभवतु नथी. अने सगुणपणा ना प्रभावे ईश्वर मां कर्तृत्व संभवे नहीं, माटे ईश्वर मां निर्गुण परणं संभवतु नथी जो जगत बनाववाना समये सगुणपर अने ते सिवाय ना काल मां निर्गुणपण एम मानवामां आवे तो कर्त्ता तु अनित्यपगु थई जाय. अने जो कर्त्ता अनित्य थई जाय तो जगत बनावी शके नहीं, माटे ईश्वर ने जगत - कर्त्ता माननार ना मते ईश्वर मां सगुणपणु एम बन्ने धर्मो मानेल छे. एटले निरंजन ने निष्क्रिय कर्त्ता मां सगुणपरण अन्दरमानेल छे, माटेकर्त्ता ने गुरगोनो योग पण अनादि कालनो मानेलो छे तेम आत्मा अने कर्म नो योग पण अनादि काल थी मानेल छे. या मत 'जगत नो कर्त्ता ईश्वर छे' एम माननार नो छे हियां तो फक्त जगत कर्तृत्व माननार ने समझाववा माटे दृष्टांत रुपे बतावेल छे .
जैन शासनमां ईश्वर राग-द्वेष रहित, निरंजन, निराकार मरणाय छे. सत्त्व, राजस अने तामस ए त्रण गुणो थी मुक्त, अढार दोष रहित ज्ञानादि अनन्त गुणो ना भण्डार अने संसार थी निर्लिप्त होय छे. आवा प्रकार नो ईश्वर कदी पण जगत बनावेज नही. अरे, एवो ईश्वर आवा प्रकार नी उपाधि मां शा माटे पड़े ? एटलेज जैन शासन ईश्वर ने जगत कर्ता तरीके मानतुं नथी.
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