________________
(२३)
मूलम् -
दूग्धाज्ययोर्वा युगपद्धवोऽस्त्वयं यथा पुनःपावकसूर्यकान्तयोः । सुधासुधाभृच्छिलयोःसहोत्थितः,कतु गुणानामथकर्तृवादिनाम ८
गाथार्थ - दूध अने घीनो, अग्नि अने सूर्य कान्त मणी नो, अमृत अने चन्द्रकान्त मणी नो अने कर्ता ना गुणो नो अने प्राणियोनो योग एक साथे थयेलो छे,
तेम जीव अने कर्म नो योग एक साथे थयेलो छे. विवेचन-दूध अने घी नो योग एकसाथेज रहेलो छे. अग्नि
अने सूर्यकान्त मणी नो योग एक साथेज रहेलो छे. अमृत अने चंद्रकान्तमणी नो योग एक साथेज रहेलो छे. अने ईश्वर ने कर्ती तरीके माननार ना मते ईश्वर ना गुणो अने प्राणियोनो योग अनादि काल थी एक साथेज रहेलो छे. तेम जीव अने कर्मनो योग पर अनादि काल थी एक साथेज रहेलो छे. सत्व, राजस अने तैजस एम त्रण प्रकार ना गुणो छे. ए त्रणे प्रकृति ना गुणो छे परन्तु आत्मा ना गुणो नही. ईश्वर जगत नो कर्त्ता छे, एम माननार ना सिद्धान्त मां ईश्वर मां निर्गुण पणु अने सगुण पणु एम बे धर्मो मानेला छे. हवे प्रश्न ए थाय छे के जो ईश्वर ने निर्गुण मानवामां आवे तो ईश्वर जगत-कर्ता बनी शकतो नथी. कारण के निर्गुण एवो जगत - कर्ता ईश्वर निष्क्रिय अने निरंजन होवाथी तेना मां सगुरम