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ववानु के जो कर्म अने जीव नी उत्पत्ति साथे मानिये तो जीव अने कर्म ए बेमां कोण कर्ता ? एम कर्ता अने कर्म नो भेद नष्ट थई जाय अने जीव कर्म बंध पण करी न शकवाथी कर्म बंध नु फल पण जीवने मली शके नहीं, माटे बन्ने नी साथे साथे उत्पत्ति मानवामां पण दोष आवे छे . वली बन्ने नी उत्पत्ति मानवामां बीजो दोष पण आवे छे के एक नियम एवो छे के कारण वगर कार्य उत्पन्न थतु नथी. कारण पण बे प्रकारनां छे. निमित्त कारण अने उपा दान कारण. कदाच निमित्त कारण माँ एक निमित्त कारण . ने बदले बीजो निमित्त कारण चाले परन्तु उपादान कारण वगर चालतु नथी. जेमके घडो बना -ववामां माटी ए उपादान कारण छे अने गवेडो, कुभार, चाकडो विगेरे निमित्त कारण छे. जीव अने कर्म ए बन्ने नु उपादान कारण कोण ? ए प्रश्न थाय ज.माटे ए बन्ने नी उत्पत्ति थती नथी ते सिद्ध थाय छे.
जीव एकलो मानिये तो शो दोष ? जीव एकलो मानिये तो ससार मां कोई जीव सुखी, कोई जीव दुखी, कोई रोगी तो कोई निरोगी, कोई राजा तो कोईरंक, कोई बुद्धिहीन तो कोई विद्धान एम जे विचित्रता अने विभिन्नता देखाय छे तेनु कारण शु ? माटे जीव