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Jina (conqueror of senses) and a Kewali (omniscient) and knows all there is to know in the inhabited and uninhabited universe.
२३ : जया लोगमलोगं च जिणो जाणइ केवली।
तया जोगे निलंभित्ता सेलेसिं पडिवज्जइ॥ जब वह जिन एवं केवली लोक-अलोक को जान लेता है तब वह योगों (मन, वचन, काया की प्रवृत्तियों) का निरोध कर शैलेशी अवस्था (पर्वततुल्य निश्चल साम्यावस्था) को प्राप्त कर लेता है॥२३॥
23. When a man, that Jina and Kewali, knows all there is to know in the inhabited and uninhabited universe, he blocks all union (indulgence of mind, speech and body) and attains the shaileshi state (completely immobile like a mountain or the state of absolute inactivity). २४ : जया जोगे निलंभित्त सेलेसिं पडिवज्जइ।
तया कम्म खवित्ताणं सिद्धिं गच्छइ नीरओ॥ जब मनुष्य तीनों योग का निरोध कर शैलेशी अवस्था को प्राप्त कर लेता है तब वह कर्मों का क्षय करके रजरहित हो सिद्धि को प्राप्त करता है।॥२४॥
24. When a man blocks all union and attains the shaileshi state, he sheds all karmas and, becoming absolutely pure, attains Siddha status.
२५ : जया कम्मं खवित्ताणं सिद्धिं गच्छइ नीरओ।
तया लोगमत्थयत्थो सिद्धो हवइ सासओ॥ जब मनुष्य कर्मों का क्षय करके रजरहित हो सिद्धि को प्राप्त करता है तब वह लोक के मस्तक (अंतिम भाग) पर स्थित हो शाश्वत सिद्ध बन जाता है।॥२५॥
संवर साधना से सिद्धि प्राप्ति तक के इस क्रम को चित्र संख्या ९ द्वारा समझाया गया है॥२५॥
चतुर्थ अध्ययन : षड्जीवनिका Fourth Chapter : Shadjeevanika
GILIDA
या
Fol AWUNDA
शिव
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