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१४ : कयराइं अट्ठ सुहुमाइं जाइं पुच्छिज्ज संजए।
. इमाइं ताई मेहावी आइक्खिज्ज विअक्खणो॥ १५ : सिणेहं पुष्फसुहुमं च पाणुत्तिंगं तहेव य।
पणगं बीय हरियं च अंडसुहुमं च अट्ठमं॥ साधु के लिए जिनका जानना अत्यावश्यक है वे आठ सूक्ष्म कौन-कौन-से हैं ? Tool यह प्रश्न पूछे जाने पर गुरु समाधान देते हैं कि हे शिष्य ! वे आठ सूक्ष्म इस
प्रकार हैं-स्नेहसूक्ष्म, पुष्पसूक्ष्म, प्राणीसूक्ष्म, उत्तिंगसूक्ष्म, पनकसूक्ष्म, बीजसूक्ष्म,
हरितसूक्ष्म और अण्डसूक्ष्म ये आठ प्रकार के सूक्ष्म जीव हैं॥१४-१५॥ LE 14, 15. “What are these eight micro-things about which an
ascetic should know and understand?" On being asked this question the guru explains—“These eight micro-things aremicro-moisture, micro-flowers, micro-beings, micro-dwellings, micro-fungi, micro-seeds, micro-vegetation and micro-eggs." विशेषार्थ : ___ श्लोक १४, १५. सिणेहं-स्नेह-स्नेहसूक्ष्म-जल सम्बन्धी सूक्ष्म-ओस, बरफ, कुहासा,
ओला, सीलन आदि। ____ पुष्फ-पुष्पसूक्ष्म-बड़, उडुम्बर आदि के फूल तथा उनके जैसे, समझ में न आने वाले फूल।
पाण-प्राणसूक्ष्म-कुंथुवा जैसे वे सूक्ष्म जीव जो हिलने-डुलने पर दिखाई देते हैं अन्यथा
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नहीं।
उत्तिंग-उत्तिंगसूक्ष्म-(कीटिका-नगर) कीड़ी नगर-दीमक की बांबी जैसे स्थान जहाँ जीवों को वहाँ से देख पाना सम्भव न हो। . पणगं-पनकसूक्ष्म-विभिन्न प्रकार की काई। बीय-बीजसूक्ष्म-तुष-मुख-सामो, शाल आदि के मुख-अग्रभाग पर रहने वाली कणिका। हरियं-हरितसूक्ष्म-तत्काल उत्पन्न, पृथ्वी जैसे वर्णवाला सूक्ष्म अंकुर।
अंड सुहुमं-अण्डसूक्ष्म-सूक्ष्म अण्डे, जैसे मधुमक्खी, कीड़ी, मकड़ी आदि के। | आठवाँ अध्ययन : आचार-प्रशिधि Eight Chapter : Ayar Panihi
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