Book Title: Agam 29 Mool 02 Dasvaikalik Sutra Sthanakvasi
Author(s): Shayyambhavsuri, Amarmuni, Shreechand Surana, Purushottamsingh Sardar, Harvindarsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan

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Page 444
________________ Guwww ELABORATION: (11) Sovakkese Gihivase-A householder's life is full of worries and miseries. Pariyaye-a particular state; here it refers to the ascetic way. The state or the way of life where there is an inflow of piety from all directions is called the ascetic state or muni-paryaya. (Agastya Simha Churni) बंधे गिहवासे। मुखे परियाए॥ १२. गृहवास बन्धन है और मुनि-पर्याय मुक्ति (मोक्ष) है। सावज्जे गिहवासे। अणवज्जे परियाए॥ १३. गृहवास सावद्य (पापसहित) है और मुनि-पर्याय अनवद्य है। • बहुसाहारणा गिहीणं कामभोगा। १४. गृहस्थों के काम-भोग बहुत साधारण, सर्व-सुलभ हैं। पत्तेयं पुण्णपावं। १५. पुण्य और पाप सबका अपना-अपना होता है। अणिच्चे खलु भो ! मणुयाण जीविए कुसग्गजलबिंदुचंचले। १६. अहो ! मानव जीवन अनित्य है, कुश की नोंक पर स्थित ओस की बूंद के समान चंचल है। बहुं च खलु भो ! पावं कम्मं पगडं। १७. अहो ! मैंने इससे पूर्व अनेक पाप-कर्म किये हैं। पावाणं च खलु भो ! कडाणं कम्माणं पुट्विं दुच्चिण्णाणं दुप्पडिक्कंताणं वेयइत्ता मोक्खो, नत्थि अवेयइत्ता, तवसा वा झोसइत्ता। अट्ठारसमं पयं भवइ। भवइ य इत्थ सिलोगो ३६२ श्री दशवकालिक सूत्र : Shri Dashavaikalik Sutra Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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