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current because that is the way to get liberated. The common people find it difficult to move against the current (or on the path of liberation), they are happy moving with the current of mundane pleasures.
चर्या, गुण एवं नियम
४ : तम्हा आयारपरक्कमेण
संवरसमाहिबहुलेणं ।
चरिया गुणा य नियमाय हुंति साहूण दट्ठव्वा ॥
इसलिए आचार क्रिया में पराक्रम करने वाले जो मुनि हैं एवं संवर में समाधि रखने वाले हैं, उन्हें अपने चर्या, गुण और नियम आदि का ध्यान रखना चाहिए ॥४॥
ROUTINE, VIRTUES AND RULES
4. Therefore, the shramans strictly following the ascetic conduct and engrossed in practice of samvar (stopping the inflow of karmas) should be aware of the routine, virtues and rules of the ascetic way.
विशेषार्थ :
श्लोक ४. चरिया - मूल व उत्तरगुण रूप चारित्र ।
गुणा - चारित्र की रक्षा के लिए जो भावनाएँ हैं उन्हें गुण कहते हैं। नियमा-नियमा:- प्रतिमा आदि अभिग्रह नियम कहलाते हैं।
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ELABORATION:
( 4 ) Chariya — the basic and auxiliary attributes of conduct. Guna-the attitudes that help proper following of conduct. Niyama-the rules and resolves related to various austerities. -(Jinbhadra Churni)
- ( जिनभद्र चूर्णि )
चर्या का स्वरूप
५ : अणिएयवासो समुआणचरिया अन्नायउंछं पइरिक्कया य । अप्पोवही कलहविवज्जणा य विहारचरिया इसिणं पसत्था ॥
द्वितीय चूलिका : विविक्त चर्या Second Addendum Vivitta Chariya
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nashi
SEESEAR
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