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SLES
SEEKERI
८८. चइज्ज देहं न हु धम्मसासणं ।
चू. १/१७
देह को (आवश्यक होने पर) भले छोड़ दो, किन्तु अपने धर्म - शासन को मत छोड़ो ।
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It is better to embrace death happily rather than to abandon the religious discipline. C. 1/17
८९. अणुसोओ संसारो, पडिसोओ तस्स उत्तारो ।
चू. २/३
अनुस्रोत अर्थात् विषयासक्त रहना संसार है । प्रतिस्रोत अर्थात् विषयों से विरक्त रहना संसार-सागर से पार होना है।
९०. असंकिलिट्ठेहि समं वसेज्जा ।
४१२
SROCESS
The mundane way is to move with the current (indulgence in mundane pleasures). The ascetic way is to move against the current (detachment from mundane pleasures) because that is the way to get liberated.
C. 2/3
चू. २/९
क्लेश नहीं करने वालों के साथ रहो ।
Seek the company of those who do not get agitated.
९१. जो
पुव्वरत्तावररत्तकाले,
संपेहए अप्पगमप्पणं । किं मे कडं किंच मे किच्चसेसं, किं सक्कणिज्जं न समायरामि ॥
९२. अप्पा हु खलु सययं रक्खि अव्वो ।
जाग्रत साधक प्रतिदिन रात्रि के प्रारम्भ में और अन्त में
चू. २/१२ सम्यक् प्रकार से
आत्म-निरीक्षण करता है कि मैंने क्या (सत्कर्म) किया है, क्या नहीं किया है ? और वह कौन-सा कार्य बाकी है, जिसे मैं कर सकने पर भी नहीं कर रहा हूँ ?
During the first and last quarter of the night an alert ascetic reviews his thoughts and activities of the day and asks himself-What did I do ? What did I not do ? What was it that I did not do out of lethargy in spite having the energy and capacity to do?
C. 2/12
चू. २/१६
BILDET
अपनी आत्मा को सतत पापों से बचाये रखना चाहिए।
The soul should always be protected from sins.
C. 2/9
anto
श्री दशवैकालिक सूत्र : Shri Dashavaikalik Sutra
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C. 2/16
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