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kar ही भिक्षा लेना चाहिए तथा दाता जो पदार्थ दे रहा है उस देय पदार्थ से संसृष्ट हाथ और पात्र से ही भिक्षा लेने का यत्न करना चाहिए॥६॥
6. To avoid aakeerna and avaman food and to properly accept pure food from a nearby house is best for an ascetic. He should try to get food by the serving spoon specifically used for a particular preparation or by hands already in contact with a particular preparation. विशेषार्थ :
श्लोक ६. आइण्ण-आकीर्ण-वह आहार जो भीड़ भरे स्थान से प्राप्त हो।
ओमाण-अवमान भोज। वह आहार जो ऐसे स्थान से लिया जाय जहाँ गणना से अधिक भोजन करने वालों की उपस्थिति से खाद्य पदार्थ के कम होने की संभावना हो।
ओसन्नदिट्ठा-उत्सन्नदृष्ट-दृष्ट-स्थान से भोजन लेना। तीन घरों के अन्तर से लाया हुआ भोजन लेने की मर्यादा है। उससे आगे का इस श्रेणी में नहीं आता। ___ संसट्ठकप्पेण-संसृष्टकल्प-लिप्त हाथ या बर्तन से भोजन लेना संसृष्टकल्प कहलाता है। सचित्त वस्तु से लिप्त हाथ या पात्र से भिक्षा लेना मुनि के लिए वर्जित है। अतः वह तज्जात-संसृष्ट होना चाहिए-अर्थात् जो वस्तु दाता दे रहा है उसी से संसृष्ट लिप्त हाथ से लेवे, अन्य सचित्त वस्तु से संसृष्ट हाथ हो तो न लेवे। ELABORATION:
(6) Aainna (aakeerna)—the food available at a crowded place.
Omaan (avaman)—the food available at a place where there are more seekers than the available quantity of food and there is a chance of shortfall
Osannadittha—a visible place or a nearby place. The rule is to seek food from up to three houses next to the place of stay; beyond that is prohibited. .
Samsatthakappena-to accept alms given by soiled hands or utensils. It is prohibited for an ascetic to accept alms if given by hands or utensils soiled with sachit things. So he should accept
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द्वितीय चूलिका : विविक्त चर्या Second Addendum : Vivitta Chariya
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