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鐵路價
The self seeking ascetics are like bumble-bees. They are not dependent on one particular person or a thing. They collect food (virtues) from wherever it is available.
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مهلت
५. कहं नु कुज्जा सामण्णं, जो कामे न निवारए ।
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वह साधना कैसे कर पाएगा, जोकि अपनी कामनाओं - इच्छाओं को रोक नहीं पाता ?
小 Gyane
How can a person, unable to control his desires, indulge in ascetic practices?
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६. वत्थ गंधमलंकारं इत्थीओ सयणाणि य ।
अच्छंदा जे न भुंजंति, न से चाइत्ति वुज्चइ ॥
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जो वस्त्र-गंध-आभूषण स्त्रियों व शयनासन आदि भोग्य पदार्थों का पराधीनता के कारण उपभोग नहीं कर पाते, उन्हें त्यागी नहीं कहा जा सकता।
A person who is unable to enjoy things like clothing, perfumes, ornaments, a woman, a seat, a bed, etc. for reasons beyond his control is not a renouncer.
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७. जे य कंते पिए भोए, लद्धे वि पिट्ठिकुव्वइ ।
साहीणे चयइ भोए, से हु चाइ त्ति वुच्चइ ॥
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जो मनोहर और प्रिय भोगों के उपलब्ध होने पर भी स्वाधीनतापूर्वक उन्हें पीठ दिखा देता है - त्याग देता है, वस्तुतः वही त्यागी है।
Only he is a true renouncer who is his own master, who turns away from all available and desired indulgences and abandons them of his own free will.
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८. कामे कमाही कमियं खु दुक्खं ।
कामनाओं को दूर करना ही दुःखों को दूर करना है ।
To be free of desires is to be free of miseries.
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९. वंतं इच्छसि आवेउं, सेयं ते मरणं भवे ।
२/७
यदि तुम वमन किए हुए ( त्यक्त विषयों) को फिर से पीना (पाना) चाहते हो, इससे तो तुम्हारा मर जाना अच्छा है।
新
श्री दशवैकालिक सूत्र : Shri Dashavaikalik Sutra
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