Book Title: Agam 29 Mool 02 Dasvaikalik Sutra Sthanakvasi
Author(s): Shayyambhavsuri, Amarmuni, Shreechand Surana, Purushottamsingh Sardar, Harvindarsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan

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Page 482
________________ 鐵路價 The self seeking ascetics are like bumble-bees. They are not dependent on one particular person or a thing. They collect food (virtues) from wherever it is available. 1/5 Jain Education International مهلت ५. कहं नु कुज्जा सामण्णं, जो कामे न निवारए । २/१ वह साधना कैसे कर पाएगा, जोकि अपनी कामनाओं - इच्छाओं को रोक नहीं पाता ? 小 Gyane How can a person, unable to control his desires, indulge in ascetic practices? 2/1 ६. वत्थ गंधमलंकारं इत्थीओ सयणाणि य । अच्छंदा जे न भुंजंति, न से चाइत्ति वुज्चइ ॥ ३९८ २/२ जो वस्त्र-गंध-आभूषण स्त्रियों व शयनासन आदि भोग्य पदार्थों का पराधीनता के कारण उपभोग नहीं कर पाते, उन्हें त्यागी नहीं कहा जा सकता। A person who is unable to enjoy things like clothing, perfumes, ornaments, a woman, a seat, a bed, etc. for reasons beyond his control is not a renouncer. 2/2 ७. जे य कंते पिए भोए, लद्धे वि पिट्ठिकुव्वइ । साहीणे चयइ भोए, से हु चाइ त्ति वुच्चइ ॥ २/३ जो मनोहर और प्रिय भोगों के उपलब्ध होने पर भी स्वाधीनतापूर्वक उन्हें पीठ दिखा देता है - त्याग देता है, वस्तुतः वही त्यागी है। Only he is a true renouncer who is his own master, who turns away from all available and desired indulgences and abandons them of his own free will. 2/3 २/५ ८. कामे कमाही कमियं खु दुक्खं । कामनाओं को दूर करना ही दुःखों को दूर करना है । To be free of desires is to be free of miseries. 2/5 ९. वंतं इच्छसि आवेउं, सेयं ते मरणं भवे । २/७ यदि तुम वमन किए हुए ( त्यक्त विषयों) को फिर से पीना (पाना) चाहते हो, इससे तो तुम्हारा मर जाना अच्छा है। 新 श्री दशवैकालिक सूत्र : Shri Dashavaikalik Sutra For Private 24 Personal Use Only www.jainelibrary.org

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