Book Title: Agam 29 Mool 02 Dasvaikalik Sutra Sthanakvasi
Author(s): Shayyambhavsuri, Amarmuni, Shreechand Surana, Purushottamsingh Sardar, Harvindarsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan

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Page 484
________________ SUNE १६. हसंतो नाभिगच्छेज्जा। ५/१/१४ मार्ग में हँसते हुए नहीं चलना चाहिए। One should not laugh while walking. 5/1/14 १७. संकिलेसकरं ठाणं, दूरओ परिवज्जए। ५/१/१६ जहाँ भी कहीं क्लेश की संभावना हो, उस स्थान से दूर रहना चाहिए। One should avoid such places that might cause agitation and misery in his mind. 5/1/16 १८. असंसत्तं पलोइज्जा। ५/१/२३ किसी भी वस्तु को ललचाई आँखों से (आसक्तिपूर्वक) न देखे। One should not look at something with yearning. 5/1/23 १९. उप्फुल्लं न विणिज्झाए। ५/१/२३ आँखें फाड़ते हुए (घूरते हुए) नहीं देखना चाहिए। One should not look at something with wide (staring) eyes. 5/1/23 २०. निअट्टिज्ज अयंपिरो। ५/१/२३ किसी के यहाँ अपना अभीष्ट काम न बन पाए तो बिना कुछ बोले (झगड़ा किए) शांत भाव से लौट आना चाहिए। If one does not get the desired he should leave without comment peacefully. 5/1/23 २१. अकप्पियं न गिण्हिज्जा। ५/१/२७ अयोग्य वस्तु, कैसी भी क्यों न हो, स्वीकार नहीं करना चाहिए। One should not accept what is not proper (akalp) for him no matter how good it is. 5/1/27 २२. छंदं से पडिलेहए। ५/१/३७ व्यक्ति के अन्तर्मन को परखना चाहिए। One must judge the intention of the other person. 5/1/37 ANSSSSSSOli Toh ४०० श्री दशवैकालिक सूत्र : Shri Dashavaikalik Sutra Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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