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SIITIDUR
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यह पंचांग (दो पैर, दो हाथ, एक सिर) वंदन है। इसकी विधि है-दोनों घुटनों को भूमि पर टिकाकर, झुककर दोनों हथेली को धरती पर रखकर उन पर अपना मस्तक रखना।
ELABORATION:
(12) Sirasa panjalio-join palms and bow head. This is known as the homage by five parts of the body (two feet, two hands and the head). The procedure is-putting both knees on ground bowing and putting both palms ahead on the ground and finally touching the palms with the head. १३ : लज्जा दया संजम बंभचेरं कल्लाणभागिस्स विसोहिठाणं।
जे मे गुरू सययमणुसासयंति ते हिं गुरू सययं पूअयामि॥ ___ कल्याणभागी साधु के लिए आत्मा को विशुद्ध करने वाले ये चार मुख्य स्थान हैं-लज्जा, दया, संयम और ब्रह्मचर्य। शिष्य को सदैव यही भावना रखनी चाहिए कि जो गुरु मुझे शिक्षा देते रहते हैं, मैं उन गुरुओं की निरन्तर पूजा करता रहूँ॥१३॥ ___13. There are four things that help an ascetic seeking uplifts cleanse his soul-modesty, clemency, discipline and celibacy. A disciple should always think that he should continue to worship the teacher who is imparting knowledge to him. १४ : जहा निसंते तवणच्चिमाली पभासई केवलभारहं तु।
एवायरिओ सुय-सीलबुद्धिए विरायई सुरमझे व इंदो॥ जैसे रात बीत जाने पर देदीप्यमान सूर्य समस्त भरतक्षेत्र को अपनी किरणों से प्रकाशित करता है, वैसे ही आचार्य भी श्रुत, शील और बुद्धि से युक्त उपदेश द्वारा विश्व को प्रकाशित करते हैं तथा जिस प्रकार देव-सभा के मध्य विराजित इन्द्र शोभा पाता है, उसी प्रकार साधु-सभा में गणी-आचार्य शोभित होते हैं॥१४॥ (देखें चित्र क्रमांक २०)
नवम अध्ययन : विनय समाधि (प्रथम उद्देशक) Ninth Chapter : Vinaya Samahi (Ist Sec.) ३०५
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