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चित्र परिचय: २२
Illustration No. 22
अविनीत की स्थिति THE CONSEQUENCES OF LACK OF HUMILITY
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१. कट्टे सोयगयं जहा-जैसे स्रोत (प्रवाह) में पड़ी हुई लकड़ियाँ नदी में इधर-उधर बहती रहती हैं, वैसे ही गुरुजनों का अविनय करने वाला मृग के समान अज्ञानी शिष्य संसार प्रवाह में वहता रहता है।
(अध्ययन ९/२, श्लोक ३) 1. As a log drifts directionless in a river, so does a deer-like ignorant disciple who shows lack of humility before the elders continues to drift in the river-like flow of life.
(Chapter 9/2, verse 3) २. दिव्वं सो सिरिमिजंतिं-गुरुजनों द्वारा प्रेरणा व शिक्षा देने पर भी जो शिष्य विनय नहीं सीखकर उलटा उन पर कुपित होता है वह वैसा मूर्ख है जैसा कोई घर में आती हुई लक्ष्मी को डंडे से मारकर भगाने की चेष्टा करता है।
(अध्ययन ९/२, श्लोक ४) 2. Even when inspired and taught by the elders, if a disciple does not learn to be humble and, instead, reacts angrily, he is as foolish as a person who is bent upon hitting out at the incoming goddess of wealth with a stick.
(Chapter 9/2, verse 4) ३. तहेव अविणीयप्पा-जैसे सवारी में काम आने वाला घोड़ा अविनीत अड़ियल होता है तो चाबुक आदि से प्रताड़ित किया जाता है और जो घोड़ा विनीत होता है, वह सभी प्रकार से सुख व सम्मान का भागी होते हैं। उसी प्रकार अविनीत को अनेक प्रकार के कठोर वचन, यातनाएँ आदि सहने पड़ते हैं और सुविनीत को संसार में यश तथा ऋद्धि-वैभव प्राप्त होता है।
(अध्ययन ९/२, श्लोक ५-९) 3. A stubborn riding horse is hit with a whip and a broken and humble horse gets love and good treatment. In the same way an illmannered disciple has to suffer harsh words and other pain, whereas a humble one begets attainments followed by fame and glory.
(Chapter 9/2, verses 5-9)
(Swuurmwal
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