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नवमं अज्झयणं : विणय समाही : चउत्थो उद्देसो नवम अध्ययन : विनय समाधि : चौथा उद्देशक
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NINTH CHAPTER (FOURTH SECTION): VINAYA SAMAHI
THE BLISS OF HUMBLENESS
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चार समाधि ___ सूत्र १. सुअं मे आउसं ! तेणं भगवया एवमक्खायं-इह खलु थेरेहिं भगवंतेहि चत्तारि विणयसमाहिट्ठाणा पन्नत्ता। __ हे आयुष्मन् ! मैंने सुना है, उन भगवान ने इस प्रकार कथन किया है, इस निर्ग्रन्थ प्रवचन में स्थविर भगवन्तों ने विनय समाधि के चार स्थानों का प्रतिपादन किया है॥१॥ THE FOUR TYPES OF BLISS ____1. O Long lived one! I heard that Bhagavan has said-In this discourse of the Nirgranth the great sthavirs (senior ascetics) have stated about four classes of the bliss of vinaya. विशेषार्थ :
सूत्र १. समाही-समाधि-टीकाकार के अनुसार यहाँ इस अनेकार्थक शब्द का अर्थ है आत्मा का हित, सुख और स्वास्थ्य। विनय, श्रुत, तप और आचार के द्वारा आत्मा का हित होता है, इसलिए समाधि के ये चार रूप होते हैं। अगस्त्यसिंह चूर्णि में समारोपण और गुणों के समाधान (स्थिरीकरण या स्थापन) को समाधि कहा है। ELABORATION:
(1) Samahi-According to the commentators the meaning of K this word here is betterment, well being and bliss of soul. As
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श्री दशवैकालिक सूत्र : Shri Dashavaikalik Sutra
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