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विशेषार्थ :
श्लोक ११. गामकंटए-ग्रामकण्टकान्-आगमों के व्याख्या-ग्रन्थों में ग्राम शब्द का अर्थ 'इन्द्रिय' किया है। अतः इन्द्रियों के लिए काँटे के समान चुभने वाले विषय। अप्रिय स्पर्श-रस-गंध-रूप-वचन आदि के लिए इन्द्रिय-कण्टक या ग्राम-कण्टक शब्द व्यवहृत होता है।
अक्कोस-पहार-आक्रोशवचन-गाली आदि। चाबुक आदि की मार-प्रहार। व्यंग्य पूर्वक तुळ शब्द बोलना तर्जना है। ELABORATION:
(11) Gamkantaye-in the commentaries the meaning of gram is given as senses. Therefore, this term means things that are piercing and painful, like a thorn, to any and all senses. Anything that is repulsive to eyes, ears, smell, taste and touch. ___Akkos-pahar-angry words; abuse. Hitting with things like whip is prahar. Uttering demeaning words satirically is Tarjana. १२ : पडिमं पडिवज्जिया मसाणे नो भायए भयभेरवाई दिस्स।
विविहगुणतवोरए य निच्चं न सरीरं चाभिकंखई जे स भिक्खू॥ जो प्रतिमा को अंगीकार करके श्मशान भूमि में ध्यानस्थ हुआ, भूत पिशाचादि के भयोत्पादक रूपों को देखकर भयभीत नहीं होता, जो विविध मूल गुणों एवं तपों के विषय में अनुरक्त रहता है तथा शरीर की भी ममता नहीं करता, वही भिक्षु है।॥१२॥ ____12. One who takes a resolve and goes to the cremation ground to meditate and is not afraid of the terrible afflictions by evil spirits, who sincerely practices the basic ascetic conduct as well as austerities and does not care even for his body, he alone is a bhikshu. विशेषार्थ : __ श्लोक १२. पडिम-प्रतिमा कायोत्सर्ग तथा अभिग्रह (विशिष्ट प्रतिज्ञा) दोनों ही अर्थ में प्रतिमा शब्द का व्यवहार होता है। कायोत्सर्ग मुद्रा में स्थित होकर श्मशान में ध्यान करने की परम्परा वैदिकों व बौद्धों की तरह जैन मुनियों में भी प्रचलित थी।
दशम अध्ययन : सभिक्षु Tenth Chapter : Sabhikkhu
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Himun
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