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ELABOKATION:
(12) Padimam-this word is used for complete detachment from the body while meditating as well as for some special austere resolutions. Like Vedics and Buddhists the practice of going to the cremation ground for such meditation was also popular among Jain ascetics. १३ : असई वोसट्टचत्तदेहे अक्कुटे व हए व लूसिए वा।
पुढवि समे मुणी हवेज्जा अनियाणे अकोउहल्ले य जे स भिक्खू॥ KS जो साधना-क्रम में पुनः-पुनः अपने शरीर का व्युत्सर्ग और त्याग करता है,
किसी के आक्रोश करने पर, झिड़कने पर, मारने-पीटने पर एवं घायल करने पर भी पृथ्वी के समान सब कुछ सहता है तथा जो निदान नहीं करता और कुतूहल भी नहीं करता है, वह भिक्षु है।॥१३॥
13. While indulging in spiritual practices, one who diverts A his attention and gets detached from his body, time and again; ___who, like earth, tolerates anger, abuse and even blows and wounds inflicted by others; and who avoids curiosity as well as expectation, he alone is a bhikshu. विशेषार्थ :
श्लोक १३. वोसट्ट चत्तदेहे-व्युत्सर्ग और त्याग वैसे तो समानार्थक शब्द हैं किन्तु आगमों में इनका प्रयोग विशेष अर्थों में हुआ है। अभिग्रह और प्रतिमा स्वीकार कर शारीरिक क्रियाओं का त्याग करना व्युत्सर्ग है और शारीरिक परिकर्म (मर्दन, स्नान आदि के परित्याग) को त्याग कहा है।
अनियाणे-अनिदान-भावी फल की आशा का अभाव अनिदान कहलाता है। निरपेक्षवृत्ति। ELABORATION: ___(13) Vosattha Chattadehe-Vyutsarg and Tyag are synonyms but in Agams they have been used as different words. To abandon physical activities and meditate after taking some specific resolution is called Vyutsarg. To abandon simple
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श्री दशवैकालिक सूत्र : Shri Dashavaikalik Sutra
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