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vinaya, education, austerity and conduct lead to the spiritual development of the soul these are known as the four classes of samadhi. In the Agastya Simha Churni the acquisition and stabilization of virtues is called samadhi.
सूत्र २. कयरे खलु ते थेरेहिं भगवंतेहिं चत्तारि विणयसमाहिट्ठाणा
पन्नत्ता।
( शिष्य का प्रश्न ) हे भगवन् ! स्थविर भगवन्तों द्वारा प्रतिपादित विनय समाधि के वे चार स्थान कौन से हैं ?
2. Bhagavan! Which are those four classes of the bliss of vinaya stated by the great sthavirs?
सूत्र ३. इमे खलु तेथेरेहिं भगवंतेहिं चत्तारि विणयसमाहिट्ठाणा पन्नत्ता तं जहा
(१) विणयसमाही ( २ ) सुयसमाही (३) तवसमाही (४) आयारसमाही ।
१ : विणए सुए अ तवे आयारे निच्चं पंडिया ।
अभिरामयंति अप्पाणं जे भवंति जिइंदिया ||
विनय समाधि के चार स्थान इस प्रकार हैं जिनका प्रतिपादन स्थविर भगवन्तों ने किया है । यथा - ( १ ) विनयसमाधि ( २ ) श्रुतसमाधि ( ३ ) तपःसमाधि और (४) आचारसमाधि ॥३॥
जो जितेन्द्रिय श्रमण विनयसमाधि, श्रुतसमाधि, तपःसमाधि, और आचारसमाधि में अपनी आत्मा को पूर्णतया लीन कर देते हैं, वे ही वास्तव में पण्डित हैं ॥१॥
3. The four classes of the bliss of vinaya stated by the great sthavirs are—1. Vinaya samadhi, 2. Shrut samadhi, 3. Tapah samadhi, and 4. Achar samadhi.
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1. Only those disciplined ascetics who completely lose themselves into Vinaya samadhi, Shrut samadhi, Tapah samadhi and Achar samadhi are truly wise.
नवम अध्ययन : विनय समाधि (चौथा उद्देशक) Ninth Chapter: Vinaya Samahi (4th Sec.) ३३१
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