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लोक में जो पुरुष और स्त्रियाँ सुविनीत होते हैं, वे समृद्धि को प्राप्त हुए तथा यश, कीर्तियुक्त सुख भोगते हुए देखे जाते हैं ॥ ९ ॥
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९ तहेव सुविणीअप्पा लोगंसि नरनारिओ । दीसंति सुहमेहंता इडिपत्ता महायसा ॥
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9. Those men and women who are humble and polite can be seen enjoying acquisitions like wealth, comforts, great fame and glory.
इसी प्रकार जो देव, यक्ष और गुह्यक ( भवनवासी देव) अविनीत होते हैं वे भी निरन्तर दुःख भोगते हुए तथा पराधीनपूर्वक सेवा वृत्ति में लगे हुए देखे जाते हैं ॥१०॥
१० : तहेव अविणीअप्पा देवा जक्खा य गुज्झगा । दीसंति दुहमेहंता आभिओगमुवडिआ ॥
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इसके विपरीत विनयवान देव, यक्ष और गुह्यक उत्कृष्ट समृद्धि को प्राप्त हुए सभी सुखों को भोगते हुए, महायशस्वी देखे जाते हैं ॥ ११ ॥
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११ : तहेव सुविणीअप्पा देवा जक्खा य गुज्झगा। दीसंति सुहमेहंता इडिपत्ता महायसा ॥
10, 11. In the same way the gods, yakshas and guhyaks (different types of gods) who are rude can be seen suffering and serving others like slaves.
On the other hand the humble gods are seen enjoying acquisitions like enormous wealth, comforts, great fame and glory.
१२ : जे आयरिअउवज्झायाणं सुस्सूसा वयणं करे । सिं सिक्खा पव ंति जलसित्ता इव पायवा ॥
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श्री दशवैकालिक सूत्र : Shri Dashavaikalik Sutra
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