Book Title: Agam 29 Mool 02 Dasvaikalik Sutra Sthanakvasi
Author(s): Shayyambhavsuri, Amarmuni, Shreechand Surana, Purushottamsingh Sardar, Harvindarsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan

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Page 398
________________ For example, food (matter) available in a particular area (space) and suitable for a particular season (time). ____Chhandam-expectations and commands of the guru. Uvayaram-command (Agastya Simha Churni); a type of worship (commentary by Acharya Haribhadra Suri); ritual process (Jinadas Churni). विनीत संपदा भागी होता है २२ : विवत्ती अविणीअस्स संपत्ती विणिअस्स य। जस्सेय दुहओ नायं सिक्खं से अभिगच्छइ॥ २३ : जे आवि चंडे मइ-इड्डिगारवे पिसुणे नरे साहस हीणपेसणे। अदिट्ठधम्मे विणए अकोविए असंविभागी न हु तस्स मुक्खो॥ अविनीत पुरुष के गुण नष्ट होते हैं और विनयी पुरुष के गुणों में विकास होता है अथवा अविनीत विपत्ति का भागी होता है सुविनीत संपत्ति का। ये दोनों बातें जिसको ज्ञात हैं वह शिक्षा को सुखपूर्वक प्राप्त करता है॥२२॥ ___ जो पुरुष क्रोधी, अपनी बुद्धि और ऋद्धि का अभिमान करने वाला, चुगलखोर और दुस्साहसी है; जो आज्ञा की अवहेलना करने वाला, धर्म से अपरिचित तथा विनय से अनभिज्ञ एवं अंसविभागी होता है, वह कभी भी मोक्ष प्राप्त नहीं कर सकता॥२३॥ HUMBLE ONE BEGETS WEALTH 22, 23. A rude person begets troubles and a polite one gets wealth. He who knows these facts gets education conveniently. A shraman who is short tempered, proud of his wisdom and wealth, backbiter, foolhardy, disobedient, irreligious, ignorant of humility and who does not share his alms with fellow ascetics can never attain liberation. विशेषार्थ : श्लोक २३. साहस-प्राचीन साहित्य में इस शब्द का प्रयोग अकृत्य कार्य में प्रवृत्त व्यक्ति के लिए होता था, जैसे दुस्साहसी। ३१८ श्री दशवैकालिक सूत्र : Shri Dashavaikalik Sutra 6 Cwife CONMITTDIA ARMER Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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