________________
A
प्रतिलेखना विधान
१७ : धुवं च पडिलेहिज्जा जोगसा पायकंबलं।
सिज्जमुच्चारभूमिं च संथारं अदुवासणं ।। नित्य प्रति आगम विधि के अनुसार यथासमय वस्त्र, पात्र, उपाश्रय, स्थंडिल SS भूमि, संस्तारक और आसन आदि की उचित प्रतिलेखना (देखभाल) करते रहना
चाहिए।॥१७॥ PROCEDURE OF INSPECTION ___17. An ascetic should carefully inspect and examine everyday at the proper time and according to the procedure detailed in the Agams, things like clothing, utensils, place of stay, place meant for excretion, place for sleeping, mattress, etc. विशेषार्थ :
श्लोक १७. सेज्जं-शय्या-रहने का स्थान; उपाश्रय। उच्चारभूमि-एकान्त स्थान जहाँ मल त्याग किया जाता है। संथारं-संस्तारक-सोने का स्थान। जोगसा-(योगेन) न कम न अधिक प्रमाणोपेत; उचित; यथाशक्ति।
पडिलेह-प्रतिलेखन-ध्यान से देखना या जाँच करना। ELABORATION:
(17) Sejjam-place of stay; upashraya. Uchcharbhumi-place meant for excretion. Samtharam-place to sleep.
Jogasa-neither less nor more; standard; proper; to the best of one's capacity.
Padileh-to inspect or examine carefully.
आठवाँ अध्ययन : आचार-प्रणिधि Eight Chapter: Ayar Panihi
२६९
Ruins
Eahmin
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org