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इस अध्ययन के चार उद्देशक हैं। प्रथम उद्देशक में आचार्य (गुरु) के साथ शिष्य किस प्रकार व्यवहार करे इस विषय पर विशद प्रकाश डाला है।
दूसरे उद्देशक में विनय-अविनय का अन्तर बताकर विनीत को सुखी एवं सम्पदा का भागी बताया है और अविनीत विपदा को प्राप्त होता है।
तीसरे उद्देशक में बताया है-विनय युक्त जीवन व्यवहार रखने वाला पूज्य है। अनेक गुणों द्वारा उसकी पूज्यता का प्रगटीकरण किया गया है। ___ चौथे उद्देशक में चार प्रकार की समाधियों का वर्णन है। समाधि का अर्थ किया है
शान्ति, आरोग्य, मनःप्रसन्नता एवं हित-सिद्धि। इस प्रकार की समाधि-प्राप्ति के लिए विनय SS सीखना चाहिए। यह चतुर्थ उद्देशक का विषय है।
____ यह विनय अध्ययन गुरु-शिष्य के मधुर सम्बन्धों पर बहुत ही सुन्दर प्रकाश डालता है। आज की शिक्षा प्रणाली के सन्दर्भ में गुरु-शिष्य के सम्बन्धों पर यह एक मार्गदर्शक निरूपण है।
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श्री दशवकालिक सूत्र : Shri Dashavaikalik Sutra
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