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ECTITITLUS:
EN
O Gomini! (these three are respectful terms of address for
women; the like of your lady ship! Her Highness! Lady! Her real excellency! etc.) O slave! O witch! O bitch! etc...
१७ : नामधिज्जेण णं बूआ इत्थीगुत्तेण वा पुणो।
जहारिहमभिगिज्झ आलविज्ज लविज्ज वा॥ ___ यदि किसी कारण वश साधु को, स्त्रियों से बोलना पड़े तो उसके गुण-दोष
का विचार कर उसके प्रसिद्ध नाम से, उसके प्रसिद्ध गोत्र से या यथायोग्य अन्य किसी उपयुक्त शब्द से एक बार अथवा कई बार आमंत्रित करे॥१७॥ __17. If at all an ascetic has to address women he should observe her attributes and should call her by her popular name or clan name or any other suitable term of address once or more. विशेषार्थ :
श्लोक १७. नामधिज्जेणगोत्तेण-नाम... प्राचीन काल में व्यक्ति के दो नाम होते थे-व्यक्तिगत नाम तथा गोत्रनाम। दोनों का अकेले अथवा संयुक्त रूप से सम्बोधन में प्रयोग किया जाता था। जैसे-भगवान महावीर के लिए ज्ञातपुत्र वर्द्धमान शब्द ज्ञातपुत्र उनके गोत्रनाम तथा वर्धमान व्यक्तिगत नाम का सूचन करता है। पाणिनी के अनुसार गोत्र का अर्थ पौत्र आदि अपत्य है। अतः यशस्वी और प्रसिद्ध पुरुष के परंपर-वंशज गोत्र कहलाते थे। स्थानांग में काश्यप, गौतम, वत्स, कुत्स, कौशिक, मण्डन तथा वाशिष्ट-ये सात गोत्र बतलाये हैं। वैदिक साहित्य में गोत्र शब्द व्यक्ति-विशेष या रक्त-सम्बन्ध से सम्बद्ध जन-समूह के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है।
इन श्लोकों का आशय यह है कि किसी का नाम याद हो तो नाम से, गोत्र याद हो तो गोत्र से या अवस्था, पद आदि दृष्टि से जो उचित व गुणवाचक प्रिय शब्द हो, उसका आमंत्रण करे। जैसे-देवानुप्रिय, धर्मप्रिय, धर्मात्मा आदि। ELABORATION:
(17) Namdhijjen-In the past a person had two namespersonal and clan name. Both were used singly or jointly as terms of address. As the name of Bhagavan Mahavir - Jnataputra Vardhaman contains the personal name Vardhaman and the clan
सातवाँ अध्ययन : सुवाक्य शुद्धि Seventh Chapter : Suvakkasuddhi
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