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(कोई साधु के साथ सन्देश कहलाये तब) ऐसा न कहे-आप निश्चित रहें ये आपकी सब बातें मैं उसको ठीक-ठीक कह दूँगा। (किसी का सन्देश देते समय) मेरी कही हुई ये सब बातें पूर्ण हैं इन्हें ज्यों की त्यों कहना। जब बोलना आवश्यक हो, तव विचारवान साधु सभी स्थानों पर सब बातों को एक-एक करके विवेक की कसौटी पर परख करके बोले॥४४॥ THINK BEFORE SPEAKING
44. When carrying a message an ascetic should not say“Don't worry, I shall convey exactly as you have said.” When sending a message he should not tell to the messenger“What I say should be exactly conveyed as I have told.” When it is necessary to speak, a wise ascetic should, at all places, first examine sagaciously every word and then utter. ... ४५ : सुक्कीअं वा सुविक्कीअं अकिज्जं किज्जमेव वा।
इमं गेण्ह इमं मुंच पणिअं नो वियागरे॥ ४६ : अप्पग्घे वा महग्घे वा कए वा विक्कए वि वा।
पणिअढे समुप्पन्ने अणवज्जं वियागरे॥ श्रमण व्यापार के विषय में ऐसा न बोले “अच्छा किया यह किराना खरीद PM लिया (बहुत सस्ता मिला) और यह माल बेच दिया (बहुत नफा कमाया) यह
माल ले लो (महँगा होने वाला है) और यह वेच दो आदि ॥४५॥ ___ अल्प मूल्य वाले तथा बहुमूल्य वाले माल के खरीदने और वेचने के विषय में यदि कभी कोई प्रसंग आ पड़े हो तो साधु को पूर्ण निश्चय से अनवद्य वचन बोलना चाहिए॥४६॥ ___45, 46. A shraman should not pass such comment about trading--You have done a good thing to buy these provisions as they are cheap. Good that you have sold these goods at sizable profit. Buy this because its prices will rise. Sell this because the prices are going to fall. सातवाँ अध्ययन : सुवाक्य शुद्धि Seventh Chapter : Suvakkasuddhi
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