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SARISA
and grains, vibhiṭak and priyal if they do not conform to the standards set in the scriptures.
विशेषार्थ :
श्लोक २५-२६. कविट्ठ- कपित्थं - कैथ - यह एक प्रकार का कँटीला पेड़ है जिसमें बेल के आकार के कसैले और खट्टे फल लगते हैं ।
माउलिंग-मातुलिंग-बिजौरा, इसी के अन्य नाम - बीजपूर, मातुलुंग, रुचक तथा फलपूरक
है।
मूलगं-मूलक का अर्थ पत्तों सहित मूली ।
मूलगत्तियं - मूलकर्तिका का अर्थ पत्ते काटी हुई मूली ।
असत्थपरिणयं - अशस्त्र परिणत - शस्त्र का अर्थ आग, पानी आदि तथा अन्य विजातीय पदार्थ से है। जो वनस्पति आग और पानी के योग से विकारान्तर को प्राप्त नहीं हुई हैं वे सचित्त होने से साधु को सर्वथा त्याज्य हैं।
फलमणि - बेर आदि फलों के चूर्ण |
मणि - धानादि बीजों के चूर्ण, जैसे- उड़द, मूँग, चना, गेहूँ आदि का आटा ।
बिलगं - ( बिभीतक) बहेड़ा - अर्जुन वृक्ष की जाति का एक विशाल वृक्ष जिसके फल दवा के काम आते हैं । त्रिफला में से एक फल ।
पियालं - प्रियाल - चिरोंजी ।
वनस्पति विषयक उपरोक्त श्लोकों के विषय में आचार्यश्री आत्माराम जी म. का विशेष कथन है- " सूत्रकार ने नाम ले-लेकर बार-बार जो वनस्पति का सविस्तार वर्णन किया है वह अहिंसा महाव्रत की रक्षा पर अत्यधिक जोर देने के उद्देश्य से किया है । ग्रन्थकार को जब किसी विषय पर अधिक जोर देना होता है तब वह उस विषय को बार-बार पुनरावृत्ति करके कहा करता है। ऐसे में पुनरुक्ति दोष की आशंका न करे ।
ELABORATION :
(25, 26) Kavittham-kaith; a thorny tree producing an astringent and sour fruit.
Mauling—bijora; a species of lemon; it is also called beejpur, Matulung, Ruchak and Phalpoorak.
Moolagam-mooli; radish with leaves.
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श्री दशवैकालिक सूत्र : Shri Dashavaikalik Sutra
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