________________
synuwal
तत्तनिव्वुडं-तप्त-निवृतम्-कम गर्म किया हुआ तथा गर्म हो जाने के बाद जो ठंडा हो गया हो। ऐसी वस्तु के सचित्त रह जाने की संभावना होती है। __ पूइपिन्नागं-सरसों की पिट्ठी या खली। पूई एक प्रकार का साग भी होता है तथा पिण्याक शब्द का उपयोग तिल, अलसी, सरसों आदि की खली के लिए भी किया जाता है। ELABORATION:
(24) Viyadam-unnatural water; this term refers to wash water which becomes achit due to its mixing with other thingsrice-wash, flour-wash, etc. Natural water or fresh water comes in the sachit class.
Tattanivuddam-water not heated up to the prescribed temperature; water that has cooled down; hot water mixed with cold; there are chances that these types of water remain sachit.
Pooipinnagam--mustard husk or paste; pooi also means a leafy vegetable and pinnag is also used for husk of sesame, linseed, mustard, etc. २५ : कविळं माउलिंगं च मूलगं मूलगत्तियं।
आमं असत्थपरिणयं मणसा वि न पत्थए॥ २६ : तहेव फलमंथूणि बीयमंथूणि जाणिया।
बिहेलगं पियालं च आमगं परिवज्जए॥ इसी प्रकार सचित्त भोजन त्यागी साधु, कच्चे और अग्नि आदि शस्त्र से अपरिणत कैथ (कोढ) बिजोरा, मूली और मूलकर्तिका लेने की मन से भी इच्छा न करे। इसी प्रकार बेर आदि फलों के चूर्ण और जौ आदि बीजों के चूर्ण,
बिभीतक (बहेडा) और प्रियाल फल (चिरोंजी) आदि भी शास्त्रोक्त विधि अनुसार - कच्चे हों तो श्रमण उनको ग्रहण न करे॥२५-२६॥
25, 26. In the same way if an ascetic who has abandoned sachit food should not even desire unprocessed and uncooked kapittha, bijora, mooli and moolkartika. In the same way, an ascetic should not accept things like powders of dry berries पंचम अध्ययन : पिण्डैषणा (द्वितीय उद्देशक) Fifth Chapter : Pindaishana (2nd Section) १७७ ।
HALCHING
ILLLLLLUT
Gyuuuunya
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org