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(15) sleeping on a bed, (16) sitting in a house, (17) bathing, and (18) beautifying the body.
९ : तत्थिमं पढमं ठाणं महावीरेण देसिअं।
अहिंसा निउणा दिट्ठा सव्वभूएसु संजमो॥ भगवान महावीर ने इनमें से प्रथम स्थान अहिंसा का बताया है। इसे उन्होंने अत्यन्त सूक्ष्म रूप से देखा है और बताया है कि सब जीवों के प्रति संयम रखना ही अहिंसा है॥९॥
9. Of these the first is ahimsa according to Bhagavan Mahavir. He has observed it minutely and said that to keep discipline in behavior towards all beings is ahimsa. १. हिंसा-त्याग १0 : जावंति लोए पाणा तसा अदुव थावरा।
ते जाणमजाणं वा न हणे णो वि घायए॥ ११ : सव्वे जीवा वि इच्छन्ति जीविउं न मरिज्जिउं।
तम्हा पाणिवहं घोरं निग्गंथा वज्जयंति णं॥ संसार में जितने भी त्रस, स्थावर प्राणी हैं, साधु जाने या अनजाने में उनकी हिंसा न करे और न किसी से करावे॥१०॥
संसार में सभी जीव जीना चाहते हैं मरना कोई नहीं चाहता। इसी प्राणि-स्वभाव को जानकर दयालु मुनि भयंकर दुःख उत्पन्न करने वाले प्राणिवध का पूर्णतया त्याग करते हैं ॥११॥ 1. NEGATION OF HARMING OTHERS ___10, 11. An ascetic, knowingly or unknowingly, should not indulge in or induce others to do any act of harming any mobile or immobile being existing in this world.
All beings in this world desire to live and none wants to die. Realizing this inherent nature of beings the
छठा अध्ययन :महाचार कथा Sixth Chapter :Mahachar Kaha
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