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Kakkam-liquids, powders and pastes used as cleansing agents and perfumes. During the ancient times numerous preparations of fragrant things were used at the time of bathing. The traditional procedure was a massage of herbal or ordinary oil followed by rubbing the body with a de-greasing paste made of pulses, citrus fruits like amala and aromatic things like sandal-wood and finally washing with perfumed water. This is also called churn-kashaya (Dashavaikalik by Acharya Mahaprajna, page 329)
Loddham-an aromatic herb generally found in the hilly terrain of Bengal, Assam and the Himalayas.
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जो साधु, मलिन एवं अल्पवस्त्रधारी होने से नग्न हैं, द्रव्य और भाव से (- केशलुंचन करने तथा कषायमुक्त) मुण्डित हैं, लम्बे रोम और नखों वाला है, मैथुनभाव के विकार से सर्वथा शान्त है, उसको विभूषा ( शोभा - शृंगार ) से क्या प्रयोजन है ? ॥ ६५ ॥
६५ : नगिणस्स वावि मुंडस्स दीहरोमनहंसिणो । मेहुणा उवसंतस्स किं विभूसाए कारिअं ॥
65. An ascetic is nude or scantily dressed, bald physically (without hair on the head) and mentally (without passions in the mind), hairy on the body, with long nails and without the vice of lust. What for does he need beautifying his body?
विशेषार्थ :
, श्लोक ६५. नगिणस्स - नग्नस्य - चूर्णि में इसका अर्थ नग्न ही किया है । टीका में इसके दो प्रकार बताए हैं। औपचारिक नग्न - स्थविरकल्पी को कहा है जो वस्त्र पहनते हैं किन्तु अति सामान्य तथा अल्प होने से वे मलिन वस्त्रधारी या औपचारिक नग्न कहे गए हैं। निरुपचरित नग्न जनकल्पी को कहा है जो वस्त्र पहनते ही नहीं ।
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आचार्यश्री आत्माराम जी म. के कथनानुसार पुराने मैले वस्त्र रखना भी अचेलकत्व में माना जाता है। दीर्घ रोम नखों वाला विशेषण केवल जिनकल्पी मुनियों के लिए है । (दश .. आ. आत्मा., पृष्ठ ३७८)
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श्री दशवैकालिक सूत्र : Shri Dashavaikalik Sutra
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