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Bhajjiyam sai—once baked; when baked once there are chances that part of it remains uncooked and sachit. Chivadim-pods of moong (a cereal, kidney-bean). २३ : तहा कोलमणुस्सिन्नं वेलुअं कासवनालि।
तिलपप्पडगं नीमं आमगं परिवज्जए॥ इसी प्रकार भिक्षा के लिए गृहस्थ के घर जाने पर साधु को अग्नि आदि शस्त्र से अपरिणत बिना पकाए बदरीफल (बेर), वंश-करेला, श्रीपर्णी फल (कायफल), तिलपापड़ी और नीम की निबोलियाँ आदि भी अगर कोई देवे तो वह नहीं लेने चाहिए।॥२३॥ ___23. In the same way if, when going for alms, an ascetic is offered unprocessed and uncooked berries or other different varieties of fruits, including bamboo shoots, shriparni fruit, sesame seeds, margosa berry, etc., he should refuse to accept it.
२४ : तहेव चाउलं पिटुं वियर्ड वा तत्तनिव्वुडं।
तिलपिठ्ठ-पूइपिन्नागं आमगं परिवज्जए॥ चावलों का पिष्ट (आटा), शुद्धोदक (धोवन का जल), मिश्रित जल, तिलों का पिष्ट, सरसों की खली ये सब यदि अचित्त न हुए हों तो साधु को ग्रहण करना नहीं कल्पता है॥२४॥
24. If not achit, then rice flour, any type of wash, mixed water (hot and cold or treated and fresh), paste of sesame seeds, mustard husk and other such things should not be accepted by an ascetic. विशेषार्थ :
श्लोक २४. वियडं-विकृत जल अर्थात् ऐसा जल जो प्राकृतिक न हो। प्राकृतिक जल सचित्त होता है। अन्य वस्तु के मिश्रण से वह विकृत हो जाता है तथा अचित्त हो जाता है। धोवन, शुद्धोदक।
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श्री दशवैकालिक सूत्र : Shri Dashavaikalik Sutra
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