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GILETTER
अठारह स्थान
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प्राणातिपात आदि छह व्रत विराधना, पृथ्वीकाय आदि छह जीवनिकाय हानि, अकल्पनीय पदार्थ-ग्रहण, गृहस्थ के भाजन में भोजन करना, पर्यंक पर बैठना, गृहस्थों के घरों में एवं गृहस्थों के आसनों पर बैठना, स्नान करना और शरीर की विभूषा करना ये सब साधु के लिये सर्वथा त्याज्य हैं ॥ ८ ॥
८ वयछक्कं कायछक्कं अकप्पो गिहिभायणं । पलियंक निसेज्जा य सिणाणं सोहवज्जणं ॥
THE EIGHTEEN PRINCIPLE CODES
8. An ascetic should never indulge in-going against the six vows including harm to beings, harming the six classes of living beings including earth bodied ones, accepting what is not allowed, eating with householder, sitting on a bed, sitting in the house or on the seat of a householder, bathing and beautifying the body.
विशेषार्थ :
श्लोक ८. आचार के अठारह स्थान - ( १ ) अहिंसा, (२) सत्य, (३) अचौर्य, (४) ब्रह्मचर्य, (५) अपरिग्रह (पाँच महाव्रत ), (६) रात्रि - भोजन त्याग, (७) पृथ्वीकाय-संयम, (८) अप्काय-संयम, (९) तेजस् काय- संयम, (१०) वायुकाय - संयम, (११) वनस्पतिकायसंयम, (१२) त्रसकाय-संयम, (१३) अकल्प - वर्जन, (१४) गृहस्थ-भाजन - वर्जन, (१५) पर्यंकवर्जन, (१६) गृहान्तर - निषद्या - वर्जन, (१७) स्नान वर्जन, तथा (१८) विभूषा वर्जन ।
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ELABORATION :
( 8 ) Eighteen Principle Codes - The five great vows— (1) Ahimsa, (2) Truth, ( 3 ) Non-stealing, (4) Celibacy, ( 5 ) Nonpossession; sixth vow-6. Abstaining from eating during the night; not harming the six classes of living beings – ( 7 ) earth bodied, (8) water bodied, (9) fire bodied, (10) air bodied, ( 11 ) plant bodied, and (12) mobile bodied; abstaining from-(13) accepting the prohibited, (14) eating in the same plate with a householder,
श्री दशवैकालिक सूत्र : Shri Dashavaikalik Sutra
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