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ayuuuurwa concentration. Without concentration man cannot achieve success in any field. It is all the more necessary in activities like samayik, self-study, chanting, austerity, contemplation and meditation. And for ascetics these are the activities of prime importance. That is the reason that they need solitude. That is why solitude is seen as conducive to effort in the seeking of liberation. Hence an ascetic who desires solitude is one who strives to attain liberation. (Acharya Shri Atmaram ji M.)
१२ : साणं सूइयं गाविं दित्तं गोणं हयं गयं।
संडिब्भं कलहं जुद्धं दूरओ परिवज्जए॥ __साधु के मार्ग में यदि कुत्ता, ब्याही हुई गाय, मदोन्मत्त बैल, घोड़ा, हाथी, बालकों के क्रीड़ा-स्थान, कलह या युद्ध का स्थान मिल जाये तो उन्हें दूर से टालकर गमन करे॥१२॥
12. When going to seek alms an ascetic should change h is path, while still keeping a safe distance, if he comes across a dog, a cow feeding a calf, a mad bull, a place where children are playing or a place where people are fighting or quarreling. विशेषार्थ :
श्लोक १२. कलह-कलह-वाक्-युद्ध, बातों का झगड़ा। जुद्धं-युद्ध-हाथा-पाई, मारपीट तथा शस्त्रों से की जाने वाली लड़ाई।
दूरओ परिवज्जए-दूरतः परिवर्जयेत्-दूर से टालकर जाये। दूर से ही टालने के निर्देश का कारण यह है कि ऐसे स्थानों पर आत्म-विराधना और संयम-विराधना आदि अनेक दोष उत्पन्न होने की संभावना रहती है। कुत्ते आदि पशु काट सकते हैं, ब्याही हुई गाय, उन्मत्त
हाथी आदि पशु मार सकते हैं, क्रीड़ा करते बालक शरीर को या उपकरणों को हानि पहुँचा SC सकते हैं, कलह के स्थान पर भी ऐसी ही संभावनाएँ होती हैं। इसके अतिरिक्त ऐसे किसी भी 50
स्थान पर अनायास साधु के बीच में बोलने आदि की संभावनाएँ भी बन जाती हैं। (देखें चित्र संख्या ११/२)
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पंचम अध्ययन :पिण्डैषणा (प्रथम उद्देशक) Fifth Chapter: Pindaishana (Ist Section)
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