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ELABORATION:
(57, 58) Ummisam-a faultless food mixed with impure or sachit food naturally or intentionally.
५९ : असणं पाणगं वावि खाइमं साइमं तहा।
उदगम्मि हुज्ज निक्खित्तं उत्तिंग पणगेसु वा॥ ६० : तं भवे भत्तपाणं तु संजयाण अकप्पि।
दितिअं पडिआइक्खे न मे कप्पइ तारिसं॥ अन्न-पानी, खाद्य तथा स्वाद्य पदार्थ, यदि सचित्त जल पर या कीड़ी आदि के नगर पर या फफूंद पर रखे हुए हों तो वे पदार्थ साधु को अग्राह्य होते हैं। अतः मुनि देने वाली स्त्री से कह दे कि यह आहार मुझे ग्रहण करना योग्य नहीं है, मैं नहीं ले सकता।।५९-६०॥
59, 60. If the food being offered to an ascetic is lying where it is in direct or indirect contact with sachit water, an anthill or moss, it is not proper for a shraman to accept such food. So a disciplined ascetic should inform the woman that he is not allowed to accept such food. विशेषार्थ :
श्लोक ५९, ६0. उत्तिंग-कीड़ी आदि जीवों के नगर। पणगेसु-पनक-काई या फफूंद।
निक्खित्तं-निक्षिप्त-रखा हुआ। यह दो प्रकार का होता है-(१) अनन्तर निक्षिप्त-जहाँ जल आदि से सीधा सम्पर्क बने। जैसे-मक्खन को पानी में रखना। (२) परम्पर निक्षिप्त-जहाँ जल आदि से सीधा सम्पर्क न बने। जैसे-दही आदि के बर्तन को चींटी आदि जीवों से सुरक्षित रखने के लिए पानी से भरे बड़े बर्तन में रखना। ELABORATION:
(59, 60) Utting-abode of ants or other such insects; anthill. Panagesu-moss; mildew.
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श्री दशवैकालिक सूत्र : Shri Dashavaikalik Sutra
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