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विशेषार्थ :
श्लोक ७५. उच्चावयं-उच्चावच-ऊँचा और नीचा अर्थात् जिसके वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श श्रेष्ठ हो वह ऊँचा और जिसके ये गुण श्रेष्ठ न हों वह नीचा। ____ अहुणाधोअं-अधुना-धौत-तत्काल का धोवन। आचारांग चूला के अनुसार अप्रासुक जल के चार लक्षण हैं। अनाम्ल या जिसका स्वाद नहीं बदला हो, अव्युत्क्रान्त अर्थात् जिसकी गंध नहीं बदली हो, अपरिणत अर्थात् जिसका रंग न बदला हो, अविध्वस्त अर्थात् विरोधी शस्त्र के द्वारा जिसके जीव ध्वस्त न हुए हों-वह तत्काल का धोवन होता है और सजीव या अप्रासुक होने के कारण साधु को लेना नहीं कल्पता। ELABORATION:
(75) Uchawayam-high or low; a thing with good attributes of colour, smell, taste and touch is high quality and that with bad attributes is low quality.
Ahunadhoyam--fresh wash. According to Acharang Chula there are four signs of sachit water or fluid—without any change in normal taste; without any change in normal smell; without any change in normal color; and not rendered achit (lifeless or made free of living organisms) by mixing some antidote as explained in chapter 4. These are the qualities of a fresh wash. And as it is sachit it is not acceptable to an ascetic. ७६ : जं जाणेज्ज चिराधोअं मईए दंसणेण वा।
पडिपुच्छिऊण सोच्चा वा जं च निस्संकिअं भवे॥ यदि साधु स्वयं की विवेक-बुद्धि से, प्रत्यक्ष देखकर, दातार से पूछकर या सुनकर कि “यह जल चिरकाल का बहुत देर का है" ऐसा शंकारहित शुद्ध निश्चय हो जाने पर मुनि वह धोवन पानी ग्रहण कर ले।।७६ ।।
76. When an ascetic ascertains beyond any doubt by his own experience, by proper inspection, by asking the donor, or by hearing that this wash was prepared long back, the ascetic may accept that wash water. १४६
श्री दशवैकालिक सूत्र : Shri Dashavaikalik Sutra
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