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ELABORATION:
(12) Kalaham-a verbal quarrel. Juddham-a physical fight.
Durao parivajjaye--avoid from a distance. The reason for avoiding from a distance is that at such places there is danger of damage to the self as well as to the discipline. Dogs and other such animals can bite; a cow feeding a calf and a mad bull can hit or gore; playing children and fighting people may harm the body and the equipment. Besides this, at all such places there are chances of the ascetic interfering in the ongoing quarrel on impulse. (illustration No. 11/2) १३ : अणुन्नए नावणए अप्पहिढे अणाउले।
इंदियाणि जहाभागं दमइत्ता मुणी चरे॥ ___ साधु चलते हुए न तो अति उन्नत हो, न अति अवनत हो, न हर्षित हो, न व्याकुल हो किन्तु इन्द्रियों को अपने-अपने विषयों में वश में करता हुआ गमन करे॥१३॥
13. While walking, an ascetic should neither move high nor low. He should neither be excited nor agitated. Instead, he should keep all his senses in control while walking. विशेषार्थ :
श्लोक १३. अणुन्नए-अनुन्नतो-उन्नत होकर न चले। “उन्नतपने से गमन दो तरह का हैएक द्रव्य से, दूसरा भाव से। ईर्यासमिति को छोड़कर ऊँचा आकाशादि को निहारते हुए गमन करना द्रव्य रूप उन्नतपने से गमन करना है और अपनी श्रेष्ठ जाति आदि का अभिमान-भाव मन में रखते हुए गमन करना भाव रूप उन्नतपने से गमन करना है।" (आचार्य श्री आत्माराम जी महाराज दशवै., पृ. १५८)
नावणए-नावनत-अवनत होकर न चले। आचार्य श्री आत्माराम जी महाराज के अनुसार जैसे उन्नतपन का प्रकार है वैसे ही अवनतपन भी दो प्रकार का है-एक द्रव्य से, दूसरा भाव से। इतना नीचे देखकर चलना कि तीन हाथ प्रमाण आगे भी न देख सके द्रव्यरूप अवनतपना है और आहार-पानी की प्राप्ति न होने पर मन में दीन वृत्ति अथवा हीन भावना के कारण चलना भावरूप अवनतपना है।
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श्री दशवैकालिक सूत्र : Shri Dashavaikalik Sutra
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