________________
द्वितीय प्रकरण
आवश्यकनियुक्ति भद्रबाहुकृत दस नियुक्तियों में आवश्यकनियुक्ति' की रचना सर्वप्रथम हुई १. आवश्यकनियुक्ति पर अनेक टीकाएँ लिखी गई हैं। इनमें से निम्नलिखित
टीकाएँ प्रकाशित हो चुकी है :( अ ) मलयगिरिकृत वृत्ति-( क ) आगमोदय समिति, बम्बई, सन्
१९२८-१९३२.
(ख ) देवचन्द्र लालभाई जैन पुस्तकोद्धार, सूरत, सन् १९३६. (आ) हरिभद्रकृत वृत्ति-आगमोदय समिति, बम्बई, सन् १९१६-७. ( इ ) मलधारी हेमचन्द्रकृत प्रदेशव्याख्या तथा चन्द्रसूरिकृत प्रदेशव्याख्या
टिप्पण-देवचन्द्र लालभाई जैन पुस्तकोद्धार, बम्बई, सन् १९२०. ( ई ) जिनभद्रकृत विशेषावश्यकभाष्य तथा उसकी मलधारी हेमचन्द्रकृत
टीका-यशोविजय जैन ग्रन्थमाला, बनारस, वीर सं. २४२७-२४४१. ( उ ) माणिक्यशेखरकृत आवश्यकनियुक्ति-दीपिका-विजयदानसूरीश्वर सूरत,
सन् १९३९-१९४९. (ऊ) कोट्याचार्यकृत विशेषावश्यकभाष्य-विवरण-ऋषभदेवजी केशरीमलजी
श्वेताम्बर संस्था, रतलाम, सन् १९३६-७. (ऋ) जिनदासगणिमहत्तरकृत चूर्णि-ऋषभदेवजी केशरीमलजी श्वेताम्बर
संस्था, रतलाम, सन् १९२८. (ए) विशेषावश्यकभाष्य की जिनभद्र कृत स्वोपज्ञवृत्ति-ला० द० विद्या
मन्दिर, अहमदाबाद, सन् १९६६. आवश्यकनियुक्ति की गाथा संख्या भिन्न-भिन्न प्रतियों में भिन्न-भिन्न प्रकार से उपलब्ध होती है। इन गाथाओं में कहीं-कहीं भाष्य की गाथाएं भी मिली हुई प्रतीत होती हैं। उदाहरण के लिए आवश्यकनियुक्तिदीपिका की १२२ से १२६ तक की गाथाएँ विशेषावश्यककोट्याचार्यवृत्ति में नहीं हैं । गा. १२१ को कोट्याचार्य ने भाष्य में सम्मिलित किया है। मलयगिरिविवरण में आवश्यकनियुक्तिदीपिका की १२४ से १२६ तक की गाथाएँ नहीं हैं । इसी प्रकार अन्यत्र भी गाथाओं की संख्या, क्रम आदि में भेद दिखाई देता है। हमने अपने लेखन, स्थलनिर्देश आदि का आधार आवश्यक नियुक्तिदीपिका रखा है।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org