________________
सप्तम प्रकरण
ओघनिर्युक्ति- बृहद्भाष्य
मुनि श्री पुण्यविजयजी के पास ओघ नियुक्ति - बृहद्भाष्य की एक हस्तलिखित
- प्रति है जिसमें २५१७ गाथाएं हैं जिनमें
नियुक्ति-गाथाएं भी सम्मिलित हैं ।
प्रारंभ में नियुक्ति की निम्न गाथाएं हैं :
"
अरिहंते वंदित्ता चोद्दसपुब्वी तहेव दसपुब्वी । एक्कारसंग सुत्तत्यधारए सव्वसाहू य ॥ १ ॥ ओहेण य निज्जुत्ति वोच्छं चरणकरणाणुओगातो । अप्पक्खरं महत्थं अणुग्गहृत्थं सुविहियाणं ॥ २ ॥
इन गाथाओं में नियुक्तिकार ने अरिहंत चतुर्दशपूर्वी, दशपूर्वी तथा एकादशांगसूत्रार्थधारक सवं साधुओं को नमस्कार करके ओघनियुक्ति लिखने की प्रतिज्ञा की है । भाष्यकार ने इसी नियुक्ति की गाथाओं के विवेचन के रूप में प्रस्तुत भाष्य का निर्माण किया है । ग्रंथ में भाष्यकार के नाम आदि के विषय में किसी प्रकार का उल्लेख नहीं है । द्रोणाचार्य की वृत्ति लघुभाष्य पर है, बृहद्भाष्य पर नहीं ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
14
www.jainelibrary.org