Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 3
Author(s): Mohanlal Mehta
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 488
________________ अनुक्रमणिका ४७९ १८२ १८२ १११ १२ १६४ शब्द पृष्ठ शब्द पृष्ठ प्रतिचरणा प्रत्याख्यान ८,९,६५,७८,८६, प्रतिज्ञा ८,९२,३११,३४० १०९,१३६,१८४,१८५,२८१ प्रतिपतित प्रत्याख्येय प्रतिपत्ता १८२ प्रत्युपेक्षण २४ प्रतिपन्न प्रथमसमवसरण प्रतिपातोत्पाद प्रथमानुयोग ३४६ प्रतिपृच्छा १३३ प्रदेश ३९,९९ प्रतिबद्ध २११ प्रदेशव्याख्या-टिप्पण ४७,४११ प्रतिबद्धशय्या २११ प्रदेशी ४०३ प्रतिबोध ५१,९२ प्रद्युम्न ३२,४६,२६८,२९८,४०९ प्रतिभा प्रद्युम्न क्षमाश्रमण २८ प्रतिमा १०,१८,२३,२६,१०७, प्रध्वंसाभाव १११, २३५ प्रभव प्रतिमास्थित २२९ प्रभावक-चरित्र ४१,३३३,३३५, प्रतिलेखना १८,१९,१६,२०२, ३४९,३५८,३६६ २५२,२७९ प्रभावना १९२ प्रतिलोम प्रभास १३,७३,१४४,१६८ प्रतिश्रय २१२ प्रमत्त २२६ प्रतिषेध प्रमाण १९३,२७३ प्रतिष्ठा १९४ प्रमाणशास्त्र ५२ प्रतिष्ठाकल्प ३३४ प्रमाणांगुल २७२ प्रतिसंलीनप्रतिमा १११ प्रमाणाहारी २६,२४९ प्रतिसार्थ २१५ प्रमाद ८,९४,९९,२२६ प्रतिसेवक प्रमार्जन ३०९ प्रतिसेवना २३,२३४,२९९,४०० प्रमेयरत्नमंजूषा ४२० प्रतिसेवितव्य २९९ प्रयोगसंपदा १८८ प्रत्यक्ष १०,१२८,१४५,१८७, प्रयोजन १५,१६ २७१ प्ररूपणा १६,७५,१०२ प्रत्यक्ष-परोक्ष-स्वरूपविचार ३८९ प्रलंब १०,११३,१९७ प्रत्यय १३,६९,७४,१७२ प्रलंबसूरि २८,२९,२६८,२७० प्रत्याख्याता ८६ प्रलोक ७९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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