Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 3
Author(s): Mohanlal Mehta
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi
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४७८
जैन साहित्य का बृहद् इतिहास
पूर्वांग
शब्द पृष्ठ शब्द
पृष्ठ पुष्पमित्र १४,५४,१७३ प्रकार
३३,३१३ पुस्तक
प्रकाश पुस्तकपंचक १९३,२२० प्रकीर्णक
४४,४९,९२ ९,१०० प्रकृति
१३,१४६ पूजाकर्म ८०,२७८ प्रच्छादना
२२० पूज्यभक्तोपकरण २१९ प्रजा
२३८ पूरक
प्रज्ञा पूर्णशिरोरोग ९८ प्रज्ञाकर गुप्त
४६,४०७ पूर्तिकर्म १९२ प्रज्ञापक
__ ९५ ८,५४,२८३ प्रज्ञापन
१३५ पूर्वक
प्रज्ञापना ३६,५१,३३१,३७१
२७३ _प्रज्ञापनाटीका ४३,४५,३९७ पृच्छन
७ प्रज्ञापनातृतीयपदसंग्रहणी ४०,३६६ पृच्छना
७० प्रज्ञापनाप्रदेशव्याख्या ३७,३३४,३४१ पृथक्करण
प्रज्ञापना-मूलटीका ४५,३९७ ९,१०४,१५२,१६० प्रज्ञापनावृत्ति
४४,३८९ पृथ्वीकाय १०४,३०० प्रज्ञापनासूत्र
३७,३४ पृथ्वीचन्द्र ३२१,३२२,४३३ प्रज्ञापनी
९४ पृथ्वीचंद्रसूरि ५१,४३४ प्रज्ञापनोपाङ्गटीका
३८७ पृथ्वीराज जैन १४४ प्रणयन
११४,२१३ पेशी
२०८
प्रणिधान पेषण २२,३२ प्रणिधि
८,९५ ३२ प्रणेता
४९,५७ पोट्टशाल
१७८ प्रतिक्रंतव्य पोत
७,५३,६९ प्रतिक्रमण ८,१७,३०,६५,८१, पोतक २०,२१९
१३५,१९१,१९४,२५१, पोताकी १७८
२७९,४०० पौरुष्य
८७ प्रतिक्रमण-प्रकरण पोलाषाढ
प्रतिक्रमितव्य ३३ प्रतिक्रामक
८१ प्रकरण
५३ प्रतिग्रह १६,२७,२६०,२९८,२९९ प्रतिग्रहधारी
पृथ्वी
पैर
१७६
प्रकट
२२२
प्रकल्प
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