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जैन साहित्य का बृहद् इतिहास
विशेषणवती - जिनभद्र .
श्रमण भगवान् महावीर, भाग ३ - सं० मुनि रत्नप्रभविजय, अनु० प्रो० धीरूभाई पी० ठाकुर, प्रका० जैनग्रन्थ प्रकाशक सभा, पांजरापोल, अहमदाबाद, सन् १९५०. सार्थवाह - मोतीचन्द्र - बिहार राष्ट्रभाषा परिषद्, पटना, सन् १९५३. हिस्ट्री ऑफ दी केनोनिकल लिटरेचर ऑफ दी जैन्स - हीरालाल रसिकदास कापड़िया - सूरत, सन् १९४१.
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