Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 3
Author(s): Mohanlal Mehta
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 453
________________ ३२ १९३ २८० ८७ ४४४ जैन साहित्य का बृहद् इतिहास शब्द पृष्ठ शब्द पृष्ठ अनेषणीय अप्रावरण अन्यतर २३, १९४, २३६ अप्रेक्षित अन्यधार्मिक अफेनक अन्यधार्मिकस्तैन्य २२६ अबद्ध अन्ययोगव्यवच्छेदद्वात्रिंशिका ३८६ अबद्धिक १६, १७९ अन्योन्यकारक २१, २२६ अब्रह्म अन्वयिज्ञानसिद्धि ३८९ अभक्तार्थ 'अपत्य ३०, ५३, ६९, ७२ अभयकुमार ३०, ४०, ५४ अपमान २५ अभयदेव अपराधक्षमणा ८१ अभयदेवसूरि ३५, ४०, ५०, ३२५, अपराधपद ९२ ४०९ अपरिग्रह २८८ अभव्य १६३, ३४१ अपरिणत १९३ अभिग्रह २३, २६, ३०, ७२, ८७, अपरिणामी २३५, २५१ अपरिशाटो २२४ अभिघात २२, ३२ अपर्यवसित ६६ अभिधान ३२४ अपवाद १७, १८, १९, २२, २०५। अभिधेय ३२४ अपसर्पण २५५ अभिनय अपहरण १९ अभिनिबोष १२८ अपहृत २२२ अभिनिवेश १४, १५ अपादान अभिन्न १९८, २२१ अपाय १३० अभिप्राय अपार्धाहारी २६, २४९ अभिप्रेत अपावृतद्वारोपाश्रय २०८ अभिमारदारुक अपूर्वज्ञानग्रहण ६९ अभिलाप अपोह ६६ अभिवर्षितमास अपोहन १३३ अभिव्यक्ति ३४३ अप् ९ अभिषेक ६९,७२ अपकाय १०४, ३०० अभिषेका २१, २१० अप्रमाद अभेद अप्राप्तकारिता १३१ अभेदवाद अप्राप्यकारिता १३ अभ्याहृत १९२ : ७६ ३६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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