Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 3
Author(s): Mohanlal Mehta
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 463
________________ ४५४ जैन साहित्य का बृहद् इतिहास २१५ २७९ शब्द शब्द पृष्ठ कलाय कस्य १३ कलाल कांचनपुर २६, २५९ कलिंग २७, २५९ कांती ३८६ कलिंद कांपिल्य २७, २५९ कलिकाल-सर्वज्ञ काकी १७८ कलेवर ८४, १४७ काठियावाड़ कल्प १०, १६, १७, २७, ५७, ५९, कान ३२ ६०, ११३, १९४,२००, २३१, काननदीप ३९, ३५४ २४४, २५७, २६०, ३२१, कापोतिका ४०८ काम ८,५७, ९२, १००, २८३ कल्पकरण १९, २०२ काम-कथा ९३, ३१२ कल्प-टिप्पनक ३२२ काम-क्रीड़ा ३३, ५३, ३१२ कल्पधारी १९ कामगुण कल्पना १९० कामदेव _३०, ५४, २७७ कल्पसूत्र ५०, ३२१ कामभोग २८८ कल्पसूत्र-कल्पकौमुदी ५१, ४३२ कामविकार २०७ कल्पसूत्र-कल्पप्रदीपिका ५०, ४३० कामविज्ञान कल्पसूत्र-कल्पलता ५०, ४३२ कामी कल्पसूत्र-टिप्पणक ५१, ४३३ काय २२, ३२, ६६, १३५, कल्पसूत्र-सुबोधिका ५०,४३१ १४७, २८१ कल्पस्थित १९४, २२८ कायक्लेश कल्पस्थिति १९४, २३१ कायगुप्ति १९१ कल्पिक १९७ कायषट्क कल्पिका ३०१, ४०१, ४०२ कायिकीभूमि २१७ कल्प्य ४०२ कायोत्सर्ग ८, २६, ६५, १३६, २५२, कल्याणविजयसूरि ५०, ४३० २८१,३०९ कवि ५० कायोत्सर्ग-अकरण १९३ कवींद्र ३९, ३५८ कायोत्सर्ग-भंग १९३ कषाय १३, १५, ६६, ९९, १४०, कारण १२, १३, ७४, १७१, २१९ - २७७ कारणगृहीत १९२ कषायदुष्ट १९५ कार्पटिक २०, २१६ कस्तूरचन्द्र ३५, १२५, ४२० कासा ५३ ३४० २४९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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