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ओघनियुक्ति-लघुभाष्य
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तिक, प्रवचनौपघातिक और संयमौपघातिक; पात्रलेप की विधि, यतनाएं और दोष; भिक्षा ग्रहण का उपयुक्त काल; भिक्षाटन की निर्दोष विधि; दाता की योग्यता, अयोग्यता का विवेक; स्त्री-पुरुष का विचार; गमनागमन के समय विविध उपकरण ग्रहण करने के नियम व धर्मं रुचि का दृष्टान्त; आहार का उपभोग करने की निर्दोष विधि इत्यादि । '
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१. भाष्यगाथा १-३२२.
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