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मलयगिरिविहित वृत्तियां
३८७ उल्लेख तो उनकी कृतियों में है किन्तु ग्रंथ उपलब्ध नहीं है उन सब को सूचो नीचे दी जाती है:
उपलब्ध नाथ
श्लोकप्रमाण १. भगवतीसूत्र--द्वितीयशतकवृत्ति
३७५० २. राजप्रश्नीयोपांगटीका
३७०० ३. जीवाभिगमोपांगटीका ४. प्रज्ञापनोपांगटीका
१६००० ५. चन्द्रप्रज्ञप्त्युपांगटीका
९५०० ६. सूर्यप्रज्ञप्त्युपांगटीका
९५०० ७. नन्दीसूत्रटीका
७७३२ ८. व्यवहारसूत्रवृत्ति
३४००० ९. बृहत्कल्पपीठिकावृत्ति ( अपूर्ण ) १०. आवश्यकवृत्ति ( अपूर्ण)
१८००० ११. पिण्डनियुक्तिटीका १२. ज्योतिष्करण्डकटीका
५००० १३. धर्मसंग्रहणीवृत्ति
१०००० ९४. कर्मप्रकृतिवृत्ति
८००० १५. पंचसंग्रहवृत्ति
१८८५० १६. षडशीतिवृत्ति
२००० १७. सप्ततिकावृत्ति
३७८० १८. बृहत्संग्रहणीवृत्ति १९. बृहत्क्षेत्रसमासवृत्ति
९५०० २०. मलयगिरिशब्दानुशासन
अनुपलब्ध ग्रन्थ १. जम्बूदीपप्रज्ञप्तिटोका
२. ओपनियुक्तिटीका ३. विशेषावश्यकटीका
४. तत्त्वार्थाधिगमसूत्रटीका ५. धर्मसारप्रकरण टोका
६. देवेन्द्रनरकेन्द्र प्रकरण टीका उपयुक्त ग्रंथों के नामों से स्पष्ट है कि आचार्य मलयगिरि एक बहुत बड़े टीकाकार है, न कि स्वतन्त्र ग्रन्थकार । इन्होंने इन टोकाओं में ही अपने पांडित्य का उपयोग किया है। यही कारण है कि इनकी टीकाओं की विद्वत्समाज में खूब प्रतिष्ठा है। ये अपनो टीकाओं में सर्वप्रथम मूल सूत्र, गाथा अथवा श्लोक के
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