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दशम प्रकरण
अन्य नियुक्तियाँ यह पहले ही कहा जा चुका है कि आचार्य भद्रबाहु ने दस सूत्रग्रंथों पर नियुक्ति लिखने की प्रतिज्ञा की थी। इन दस नियुक्तियों में से आठ उपलब्ध हैं और दो अनुपलब्ध । इन आठ नियुक्तियों का परिचय कहीं संक्षेप में तो कहीं विस्तार से दिया जा चुका है। इनके अतिरिक्त पिण्डनियुक्ति, ओघनियुक्ति, पंचकल्पनियुक्ति, निशीथनियुक्ति व संसक्तनियुक्ति भी मिलती है । संसक्तनियुक्ति बहुत बाद के किसी आचार्य की रचना है । पिण्डनियुक्ति, ओघनियुक्ति और पंचकल्पनियुक्ति स्वतन्त्र नियुक्तिग्रंथ न होकर क्रमशः दशवकालिकनियुक्ति, आवश्यकनियुक्ति और बृहत्कल्पनियुक्ति के ही पूरक अंग हैं । निशीथनियुक्ति भी एक प्रकार से आचारांगनियुक्ति का हो अंग है क्योंकि आचारांगनियुक्ति के अन्त में स्वयं नियुक्तिकार ने लिखा है कि पंचम चुलिका निशीथ की नियुक्ति मैं बाद में करूँगा।' यह नियुक्ति निशीथभाष्य में इस प्रकार समाविष्ट हो गई है कि उसे अलग नहीं किया जा सकता। गोविन्दाचार्यकृत एक अन्य नियुक्तित अनुपलब्ध है।
१. पंचमचूलनिसीहं तस्स य उवरि भणीहामि ।
-आचारांगनियुक्ति, गा० ३४७.
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