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पंचम प्रकरण
आचारांगनियुक्ति
यह नियुक्ति' आचारांग सूत्र के दोनों श्रुतस्कन्धों पर है। इसमें ३४७ गाथाएँ हैं जिनमें आचार, अंग, ब्रह्म, चरण, शस्त्र, संज्ञा, दिशा, पृथिवी, विमोक्ष, इर्या आदि शब्दों के निक्षेप, पर्याय आदि हैं। यह नियुक्ति उत्तराध्ययननियुक्ति के बाद तथा सूत्रकृतांगनियुक्ति के पहले लिखी गई है। प्रथम श्रुतस्कन्ध :
प्रारंभ में मंगलगाथा है जिसमें सर्वसिद्धों को नमस्कार करके आचारांग की नियुक्ति करने की प्रतिज्ञा की गई है । इसके बाद यह बतलाया गया है कि आचार, अङ्ग, श्रुत, स्कन्ध, ब्रह्म, चरण, शस्त्र, परिज्ञा, संज्ञा और दिशाइन सबका निक्षेप करना चाहिए । इनमें से कौन सा निक्षेप कितने प्रकार का है, यह बताते हुए कहा गया है कि चरण और दिशा को छोड़ कर शेष का निक्षेप चार प्रकार का है। चरण का निक्षेप छः प्रकार का है और दिशा का सात प्रकार का। ___ आचार और अंग का निक्षेप पहले किया जा चुका है। यहाँ पर भावाचार के विषय में कुछ विशेष प्रकाश डाला गया है । इसके लिए निम्नलिखित सात द्वारों का आधार लिया गया है : एकार्थक, प्रवृत्ति, प्रथमांग, गणी, परिमाण, समवतरण और सार।
आचार के एकार्थक शब्द ये हैं : आचार, आचाल, आगाल, आकर, आश्वास, आदर्श, अंग, आचीर्ण, आजाति, आमोक्ष । १. (अ) शीलांक, जिनहंस तथा पार्श्वचन्द्रकृत टीकाओं सहित
राय बहादुर धनपतसिंह, कलकत्ता, वि० सं० १९३६. (आ) शीलांककृत टीकासहित
आगमोदय समिति, सूरत, वि० सं० १९७२-३.
जैनानन्द पुस्तकालय, गोपीपुरा, सूरत, सन् १९३५. २. गा० १. ३. गा० २-३. ४. दशवैकालिक की क्षुल्लिकाचारकथा तथा उत्तराध्ययन का चतुरंगीय अध्ययन। ५. गा० ५-६. ६. गा० ७.
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