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उच्च कुलमें जन्म । [७३ फलटनके एमडोंमें सेठ हीराचंद अमुलक एक वैरागी धर्मज्ञाता,
___ श्रद्धालु महात्मा हो गए हैं जिनके रचे हुए फलटनमें हमडोंकी भजनोंका बहुत प्रचार हैं। इसी फलटनके निवासी महिमा। हमड़ जातिमें उत्पन्न बाल ब्रह्मचारी बाबा दुली
चंदजी हैं जिनकी अब १०० वर्षकी आयु है जिन्होंने आजन्म जिनवाणीकी सेवा की है। जैपुरके तेरापंथी बड़े मंदिर में एक बहुत बड़ा दर्शनीय सरस्वती भंडार एकत्र किया है बहुतसे ग्रंथोंकी विद्वानोंसे भाषा कराई है व अपने हाथसे नकल की है। आप दिनभर अब भी शास्त्रोंको व किसी रचनाको लिखा ही करते हैं। बहुतसे मंदिरोंकी प्रतिष्ठा कराई हैं। आप मंत्रशास्त्रके भी मरमी हैं। गुजरातमें हूमड़ोंका अधिक जोर ईडर तथा सुरतमें है । बागड़में वांसवाडाके रायबहादुर सेठ चंपालाल विजयचंदजी प्रसिद्ध, • राज्यमान्य और धनाढ्य हैं। बागड़ देशवालें हूमड़ें भी बहुत प्रसिद्ध हो गए हैं। श्री
धुलेव केशरियाजीमें प्रायः बहुतसी दि० बागड देशमें हमड़। जैन प्रतिमाओंके प्रतिष्ठाकारक ये लोग हुए
हैं। श्री ऋषभदेवके बड़े मंदिरजीके चारों ओर एक बड़ा भारी ऊंचा कंगूनेदार कोट है उसको सागवाड़ा निवासी इमड़ ज्ञातीय कमलेश्वर गोत्रीय दि० जैनी सेठ धनजी करणजीने संवत १८६३में बनवाया है ऐसा क्हापरके शिला लेखसे प्रगट है ( देखो नकल शिला लेख दि० जैन डाइरेक्टरी छपी सन् १९१४ सफा ४७३)।
बागड़ देशके एक दूसरे कमलेश्वर गोत्रीय हूमड़ द्वारा संवत
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