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महती जातिसेवा तृतीय भाग। [७२९ हुई और सेठ माणिकचंदजीका समागम मिला जिससे यह बोर्डिग व उस सम्बन्धी अनेक सभाएं हुई। इस बोर्डिंगसे आज तक १५० छात्र पढ़कर चले गए हैं और अब भी ६० पढ़ रहे हैं । फिर छात्रोंके इंग्रेजी व मराठी में भाषण होनेपर रावसाहब जादवरावने विद्यार्थियोंको उपदेश किया उसमें कहा कि "सत्य बोलो, कर्तव्य कर्म करो तथा अपनी शिक्षामें प्रमाद न करो-यह उपदेश पूर्वके गुरु देते थे, उसीको ग्रहण कर सबको चलना चाहिये। रा० रा० डोंगरे, व लट्टेके भाषणके पीछे अध्यक्ष सेठजीने कहा कि “ यहां विद्य र्थियोंका सम्मेलन देखकर मुझे बहुत ही आनन्द हुआ है। विद्यार्थी अपना २ काम अच्छी तरह करते हैं, यह बात भले प्रकार देखी जाती है । बम्बई बोर्डिगकी अपेक्षा कोल्हापुर बोर्डिगकी व्यवस्था अच्छी नजर आती है। इसका कारण रा० रा० लट्टेका नित्य निरीक्षण है।" फिर रा० रा० डोंगरेने अच्छे निबन्ध लिखनेपर दो छात्रोंको १०) व ५) इनामके दिये । पहलेने १०) बोर्डिंगकी होटलके इमारत फंडमें अर्पण कर दिये ।
रात्रिको ८ बजे पूनाका वृहत् सभारंभ हुआ। इस तरफ रात्रिको पूजन करनेका खास कर समारंभके अवसरपर बहुत बड़ा रिवाज है। पूजनके पीछे रा. रा. चौगलेके समापतित्वमें मि. बुगटेने जैनधर्मपर व्याख्यान दिया। दूसरे दिन कोल्हापुर और बेलगांवके विद्यार्थियोंका मैच हुआ, जिसमें कोल्हापुरके विद्यार्थी जीते । सेठ माणिकचंदनी इन छात्रोंकी कार्रवाईको देखकर व अपने तन, मन, धनके उपयोगकी सफलताको जानकर अतिशय आनन्दमें लीन हो गए।
सेठ नवलचंदके तीन संतान हैं । इनमें पुत्र ताराचंदका लग्न
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