________________
७५२ ] अध्याय बारहवां ।
कर्नाटक और मद्रासप्रांत कुंभकोणम निवासी एस जयराम । इस पुस्तकमें मुख्य २ शहर व स्थानोंके इतिहास भी दिये हुए हैं।
ऐसी पुस्तककी तैयारीके सेठ माणिकचंद पानाचंर जौहरीके १५०००)से अधिक खर्च पड़े । सेठजी अपनी आंखोंसे तैयार सजिल्द पुस्तकको देखकर अतिशय आनन्दित हुए। और अंत:करणमें भाई ठाकुरदासके परिश्रमको खूब ही सराहा यह । डयरेक्टरी ८)में दिगंबर जैन पुस्तकालय सूरतसे मिल सकती है। __ जिस बोर्डिंगका मकान बनवानेके लिये सिंहई नारायणदासजी
मरनेके समय २००००) देगये थे । उस मकान डालचंद नारायणदास को बहुत ही उम्दा करीब ५० छात्रोंकेरहने दि जैन बोर्डिंग लायक तय्यार करानमें मंत्री बाबू कंछेदीजबलपुर। लाल बी. ए. एल एल. बी. ने बहुत परिश्रम
उठाया तथा भवनकी तैयारोमें ४००००) रु. लगे उसको सिंहईजीकी धर्म पत्नियोंने स्वीकार किया । इस भवनके तैयार होनेपर इसके खोलने का मुहूर्त ता. ३ जुलाई १९१४ को कमिश्नर साहब बहादुरके द्वारा अनेक प्रतिष्ठित महाशयोंके समक्ष्य किया। इस भवनका नाम डालचन्द नारायणदास दि.जैन स्कूल जबलपुर रक्खा गया तथा १५ मेम्बरोंकी एक ट्रष्ट कमेटी बनगई । सेठ माणिकचन्दनीके हार्दिक उपदेशसे सिंहईजीका द्रव्य एक उपयोगी काममें व्यय हुआ। इस भवन बननेके सिवाय ३५०००) की एक कोठी भी आपकी स्टेटसे बोर्डिंगके आधीन हुई थी। जिसका किराया १५०) मासिक आता है । सेठ माणिकचन्दनी शरीरकी अस्वस्थतासे स्वयं नहीं आएथे पर पत्र द्वारा जानकर बहुतही हर्षित हुए।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org