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दानवीरका स्वर्गवास । [८६३ पाछळ छे. आ कोमनी उन्नति माटे तेर लाख जैनोमांथी मात्र एक बे सुशक्तिमपन्न नरवरो सुमार्गे तन मन धनथी कोमनी सेवा स्वीकारी कर्त क्षेत्रमा मान-अपमाननी दरकार विना कार्य करवा मंडी पड्या छे जे जैन समाननी भविष्योन्नतिनी आशानां चिन्हो बतावे छे. जे जैन कोमने जमानाने अनुसरती उन्नतिना मध्य मार्गे लावी जैन कोमनो तन मन धनथी सेवा करनारो, हृदयथी जैन कोमनी उन्नति इच्छनारो अने ते मार्ग भगीरथ प्रयास करनारो सुलेहनो अमलदार दानवीर जैनकुलभूषण श्रीमान् शेठ माणेकचंद हीराचद झवेरीना पवित्र शरीरने गई ता. १६मी जुलाईए क्रूर काळ-हजारो विद्यार्थीना भविष्यना कल्याणनी दरकार कर्या विना-कोळी ओ करी गयो छे, ए परोपकारी शरीर आ पृथ्वी तलपरथी अदृश्य थथु छे, एवा हृदयवेधक अमंगळपय अशुभ समाचार "दिगंबर जैन" मांथी बांची आ हृदयने अकथ्य अनुग्म दिलगीरी
सर्व कोई कबुल करशे के-दरेक समान, ज्ञाति, कोम अने देशनी भविष्यनी उन्नतिनो आधार उक्त श्रेणीना बाळको-विद्यार्थीओपर अवलंबी रहेलो छे.
बाळको किंवा विद्यार्थीओने वेलवायेल अने खरा मनुष्यो बनाववाने जैन कोममां बोर्डिंग हाउसो स्थापवानो प्रारंभ करनार नरवर शुं आ पृथ्वी तलपरथी चाल्यो गयो छे ? अरे कुदरती कर कायदा! तारा! हृदयमांथी अनुकंपा-दयानुं बळ नष्ट थयुं छे ? सर्वने अनाण्या मनुष्य होय, तोपण-निर्दोष जीवन गाळनारा बाळको
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