Book Title: Danvir Manikchandra
Author(s): Mulchand Kishandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 932
________________ दानवीरका स्वर्गवास । [ ८३५ बीना घगाए पुरुषो छे, पण शेठ माणेकचंदनी स्वभाव, उदारता अने जातिभोगादिने लीधे आखा हिंदना दिगंबर जैनोना एक राजा याने वायसरॉय जेवा हता, केमके ए जे कहेता, ते सर्वे मान्य करता हता, तेम भारतवर्षीय दिगबर जैन महासभाना प्रमुख पण आ महान पुरुषन हता, तेथी दि. जैनोना राजा कहेवा ए योग्यन लागे छे. एमणे निंदगी दरम्यान दानपूण्पनां शु शु महान कार्यों करेला छे ते आ अंकमां आपेठा जीवनचरित्रमांथी वांचकोने म्ळी आवशेन, पण एटलं तो अत्रे जणवीर छिए के आ महान नरना वियोगथी दिगंबर जैन कोमे एक महान संचालक गुमाव्यो छे अने तेनी खोट कदी पण पुराई शकवानी नथी. गुजरात, मुंबाईमां दिगंबरी कोण, ए कोई जाहेरमां जाणतुं नहोतुं अने जैनो ते मात्र श्वे. जैनोन छे एम भासतुं हेतुं, पण लगभग २५ वर्ष थयां गुजरातनां अने आखा हिंइमा जे धर्मजागृति आ शेठे फेलावी छे, तेथी जैनोमां दिगंबरी नैनो पण एक मोटो विभाग छे, एवं जगनाहेर थई गयुं छे. तन, मन अने धननो भोग. कोई तनथी कार्य करे छे, कोई मनथी कार्य करे छे अने कोई धनथी कार्य करे छे पण तन, मन अने धन त्रणेने एक सरखी रीते रोकनार जो कोई वीरनर जैनोमां थयो होय तो ते आ शेठ माणेकचंदनीन हता, के जेओ दश पंदर वर्ष थयां व्यापार धंधाथी फारेग थई रात्रिदिन पोतानो समय जैन कोमनी उन्नति थाय एवा धार्मिक कार्योमांज जातिभोग आपीने रोकता हता; अने लगभग ६२ वर्षनी उमर थवा छतां एक युवान माणसनी माफक दरेक कार्य Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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